इस्लाम धर्म में इतनी कट्टरता क्यों होती है?
सब एकेश्वरवाद के पुजारी है जो स्नातन धमं के आडम्बर से निकला है ईसाई हो ईस्लाम है जिद्दी लोगो जीद्द कबिला मे बदला जहां कटर पंथ औऱ बगावत का जन्म होता है बाद जिस महामानव के सिन्धांत मे पलने बढऩे सुख शान्ति महसुस करने लगा ।उसी महापुरुष के विचार या संगठन को धमं का नाम दिया गया है या ब्रह्मा जी के वंश हो स्नातन वाले हो या युरुश्लम साहव के वारिस ईसामसीह हो,या मंगोल (मोदी वंश१,२ईजराईल के आठ कबिला के वंश ईस्मुलामिक मुस्लमान हो)सब लोग प्यार के अभाव मे एक दुजे से अलग होते गया है।
ईसी पर एक दोहा है
ईन्सान को घुमना,ईऩ्सान को खटकता है,
ईऩ्सान को अपनो से प्यार नही मिलता है।
तो बाहर भटकता है
खाना हो,या जनना दुसरे के अभाव मे,रोजी हो रोजगार के दुसरे देश प्रदेश ,भाई भाई का बटवारा अभाव मे ,धमं परिवतंन आभाव मे होता है ईत्यादि ?
मिलाजुलाकर जिद्द ,हठ, कटरपंथ सब अभिमान का जहर है
जिसका नफऱत,मार पीट ,जन्म लिया ।जिसका उपयोग हर काल खण्ड मे जमुरित के आकाऔ ऩे किया है