प्लेन में टेक ऑफ और लैंडिंग के वक़्त बत्तियाँ क्यों धीमी कर दी जाती है?
तकरीबन 117 साल पहले राइट बंधुओं ने प्लेन का सफर किया था। इसमें मजेदार बात यह है की उस वक्त आज की तरह कोई नियम-कानून नहीं था। जैसे की चैक इन, सीट बैल्ट बांधना, लगेज इत्यादि।
अब आते है आपके सवाल पर की प्लेन में टेक ऑफ और लैंडिंग के वक़्त बत्तियाँ धीमी कर दी जाती है। जो भी प्लेन में सफर कर चुके है उन्हें तो इसका कारण पता होगा! टेक ऑफ और लैंडिंग के समय लाइट्स डिम करने के पीछे एक बहुत बड़ा कारण है।
पहली बात तो यह लाइट्स डिम करने का नियम सभी प्लेन में अनिवार्य है। क्योंकि ऐसा करने के पीछे मुख्य कारण हमारी सुरक्षा से है।
पहली वजह यह है की लाइट्स को डिम हमारी आँखों के लिए किया जाता है क्योंकि अंधेरे से तालमेल बिठाने में हमारी आँखों को कम से कम 10-30 मिनट का समय लग ही जाता है। अगर कोई आपातकाल स्थिति बनती है तो आपातकालीन दरवाज़े पैसेंजर को मध्यम रौशनी में स्पष्टरुप से नजर आते है। जिससे यात्रियों को सुरक्षित और आराम से प्लेन से निकालने में मदद मिलती है।
दूसरी वजह वायुयान की अधिकांश दुर्घटनाएं टेक ऑफ और लैंडिंग के समय ही होती है। इस दुर्घटना से हर संभव बचाव के नियमों में से एक नियम यह भी है की प्लेन की लाइट्स को पायलट धीमी कर देते है जिससे उन्हें उड़ान का मार्ग स्पष्टरुप से नजर आ सके।
यह दोनों ही नियम हमारी सुरक्षा हेतु बनाये गए है। जिसका पालन हर पायलट, यात्री और प्लेन कम्पनियाँ करती है।