बार – बार आक्रमण कर रहा था जरासंध , फिर भी श्री कृष्ण उसे नहीं मार रहे थे क्यों?
बार – बार आक्रमण कर रहा था जरासंध , फिर भी कृष्ण उसे नहीं मार रहे थे भगवान श्रीकृष्ण जो भी करते थे , उसके पीछे एक उद्देश्य होता था ।
कंस का वध होने के बाद श्रीकृष्ण को मारने के लिए जरासंध ने मथुरा शहर को चारों ओर से घेर लिया । बलराम और श्रीकृष्ण ने उसकी विशालकाय सेना के साथ घोर युद्ध किया और अंतत : जरासंध की परायज हुई । जरासंध को बंधक बना लिया गया लेकिन बलराम को जरासंध का वध करने के लिए श्रीकृष्ण ने रोक दिया और उस मुक्त कर छोड़ दिया । ऐसा श्रीकृष्ण ने कई बार किया । महाभारत में भी कई कहानियां हैं जहां लोगों को उनके काम समझ नहीं आए , लेकिन जब अंतिम परिणाम आया तो आभास हुआ कि कान्हा क्या सोच रहे थे । ऐसी ही एक कहानी जरासंध को लेकर भी है । कंस की मृत्यु के पश्चात उसका ससुर जरासंघ बहुत ही क्रोधित था ।
उसने कृष्ण और बलराम को मारने के लिए मथुरा पर 17 बार आक्रमण किया । जरासंध जब भी आक्रमण करता , उसे हार का मुंह देखना पड़ता । वह फिर सेना जुटाता और ऐसे राजाओं को अपने साथ जोड़ता जो श्रीकृष्ण के खिलाफ थे , और फिर हमला बोल देता । हर बार श्रीकृष्ण पूरी सेना को मार देते , लेकिन जरासंध को छोड़ देते ।
बड़े भाई बलराम को यह बात अजीब लगती। आखिर में एक युद्ध के बाद बलराम से रहा नहीं गया और उन्होंने श्रीकृष्ण से पूछ ही लिया – बार – बार जरासंध हारने के बाद पृथ्वी के कोनों – कोनों से दुष्टों को अपने साथ जोड़ता है और हम पर आक्रमण कर देता है और तुम पूरी सेना को मार देते हो किन्तु असली खुराफात करने वाले को ही छेड़ दे रहे हो । ऐसे क्यों ? तब हंसते हुए श्री कृष्ण ने बलराम को समझाया , हे भ्राता श्री , मैं जरासंध को बार – बार जानबूझकर इसलिए छोड़ दे रहा हूं ताकि वह जरासन्ध पूरी पृथ्वी से दुष्टों को अपने साथ जोड़े और मेरे पास लाता रहे और मैं आसानी से एक ही जगह रहकर धरती के सभी दुष्टों को मार दे रहा हूं ।
नहीं तो मुझे इन दुष्टों को मारने के लिए पूरी पृथ्वी का चक्कर लगाना पड़ता । दुष्टदलन का मेरा यह कार्य जरासंध ने बहुत आसान कर दिया है । जब सभी ( दुष्टों को मार लूंगा तो सबसे आखिरी में इसे भी खत्म कर ही दूंगा चिन्ता न करो भ्राता श्री .. बाद में श्री कृष्ण ने भीम से जरासंध का वध करवा दिया था।