नेत्रदान के लिए डॉक्टर क्या पूरी आंख काटकर लगा देते हैं?
किसी स्वस्थ आँख का बहुत छोटा झिल्लीनुमा भाग जिसे “कार्निया” कहते है निकालकर काम न करने वाली आँख में परत्यारोपित कर दिया जाता है।
मृत्यु के 4 से 6 घंटो के अंदर इच्छित व्यक्ति की आँखों से रजिस्टर्ड डॉक्टर द्वारा मृतक के घर आकर कार्निया निकाले जाते हैं। इस प्रक्रिया में महज 20 से 30 मिनट ही लगते हैं। इससे मृत शरीर की कोई विकृति नहीं होती है। कॉर्निया निकालने के बाद 4 दिनों के अंदर उसका नई जगह प्रत्यारोपण कर दिया जाता है।
इसके एवज में डोनर के परिवार को एक “सर्टिफिकेट फ़ॉर एप्रीसिएशन” प्रदान किया जाता है। डोनर और कॉर्निया प्राप्तकर्ता के विवरण को गुप्त रखा जाता है।
आँखों का दान सर्वश्रेष्ठ दान है। किसी व्यक्ति को जिसके जीवन में अंधेरा ही अंधेरा हो, हमारे इस कृत्य से द्दष्टि लाभ पा सकता है। मृत्यु के बाद दान की हुई अपनी आँखों से हम भी दुनिया को देखते रह सकते हैं।
जीवित रहते ही हम सभी को अपनी आँखों को डोनेट कर देना चाहिये। यह वह सौदा है, जिसमें डोनर को किसी तरह की कोई हानि की संभावना नहीं होती है। सिर्फ लाभ ही लाभ है।