विश्व डाक से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियां
विश्व डाक दिवस प्रत्येक वर्ष 9 अक्टूबर को मनाया जाता है। विश्व डाक दिवस को स्विट्जरलैंड के बर्न में 1874 ईस्वी में यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन (यूपीयू) की स्थापना की याद में मनाया जाता है
हमारे जीवन में डिजिटल संचार आने के पहले डाक द्वारा पत्र भेजना ही एकमात्र विकल्प था और अगर कोई जरूरी संदेश हो तो उसे टेलीग्राफ द्वारा भेजा जाता था डिजिटल संचार ने लंबी दूरी के संचार में एक क्रांति ला दी है। विश्व डाक दिवस का उद्देश्य लोगों और व्यवसायों के रोजमर्रा के जीवन में पोस्ट की भूमिका के साथ-साथ वैश्विक, सामाजिक और आर्थिक विकास में इसके योगदान के लिए जागरूकता लाना है विश्व डाक दिवस को 1969 ईस्वी में जापान के टोकियो में आयोजित यूपीयू कांग्रेस में विश्व पोस्ट दिवस के रूप में आयोजित किए जाने के लिए चुना गया था यूपीयू पूरी दुनिया में संचार क्रांति के उद्देश्यों पर यह ध्यान में रखते हुए केन्द्रित रहता है की लोग एक-दूसरे को पत्र लिखें और अपने विचारों को साझा कर सकें यूपीयू के सदस्य देशों को इस समारोह का जश्न मनाने के लिए अपनी खुद की राष्ट्रीय गतिविधियों को आयोजित करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है, जिसमें डाकघरों, मेल केंद्रों और डाक संग्रहालयों में खुले दिनों के संगठन के लिए नए डाक उत्पादों और सेवाओं के परिचय या प्रचार आदि सब कुछ शामिल है
अब तक का सबसे बड़ा डाक टिकट पूर्व प्रधान मंत्री राजीव गाँधी पर 20 अगस्त 1991 को भारतीय डाक विभाग ने जारी किया डाकघर को चार भागों मे बांटा गया है प्रधान डाकघर,उप डाकघर,अतिरिक्त विभागीय उप डाकघर,अतिरिक्त विभागीय शाखा डाकघर धीरे -धीरे बदलते समय के साथ इसमें भी कई बदलाव देखने को मिले साधन उपलब्ध होने के बाद स्पीड पोस्ट का जमाना आ गया। जिसके माध्यम से डाकसेवाए काफी कम समय में ही हमारे पास तक पंहुचने लगी।