राजा दशरथ के माता-पिता अज और इंदुमती की क्या कहानी है?
महाराज दशरथ के पिता अज सूर्य राजवंश के 38वें राजा थे। वह नाभाग के पुत्र थे। अज की पत्नी और दशरथ की माता इंदुमती वास्तव में एक अप्सरा थीं लेकिन किसी शापवश धरती पर साधारण स्त्री वेश में रहने को विवश थीं।इसी रूप में इंदुमती का विवाह अज से हो गया और दशरथ पैदा हुए। एक दिन राजा अज इंदुमती के साथ उद्यान में घूम रहे थे। तभी आकाश मार्ग से नारद जी जा रहे थे। अचानक उनकी वीणा से लिपटी देवलोक की पुष्पमाला हवा में उड़ती हुई वहाँ आई और इन्दुमती के गले में जा पड़ी। इससे इंदुमती अपने शाप से मुक्त हो इंद्रलोक चली गईं। अज पत्नी के वियोग में रोने लगे। तभी नारद वहाँ प्रकट हुए तथा राजा को उन्होंने इंदुमती के पूर्व जन्म की कहानी सुनाई। तृणविन्दु ऋषि की तपस्या भंग करने के लिए इंद्र ने हरिणी नामक अप्सरा को भेजा था। इस पर ऋषि ने हरिणी को मानवी जन्म का शाप दे दिया। हरिणी के अनुरोध करने पर ऋषि ने शाप से छूटने का उपाय भी बता दिया।
स्वर्ग की पुष्पमाला के उसके कण्ठ में पड़ते ही इंदुमती को याद आ गया कि वह एक अप्सरा है। इसीलिए वह देवलोक वापस चली गई। अज इंदुमती से बहुत प्रेम करते थे। उन्होंने बहुत प्रयास किया कि किसी प्रकार इंदुमती तक पहुँच सकें। कई प्रयासों के बाद भी जब वह इंदुमती तक पहुंँचने का कोई रास्ता नहीं समझ सके तो उन्होंने स्वेच्छा से अपने प्राण त्याग दिए। अज की मृत्यु के समय दशरथ मात्र 8 माह के थे। कौशल के राजगुरु वशिष्ठ के आदेश से गुरु मरुधन्वा ने दशरथ का पालन-पोषण किया और अज के राज में सबसे बुद्धिमान मंत्री सुमंत्र ने दशरथ के प्रतीक रूप में राज्य का कार्यभार संभाला। 18 वर्ष की उम्र में दशरथ ने कौशल जिसकी राजधानी अयोध्या थी का भार संभाल लिया और उत्तर कौशल के राजा बन गए। वह दक्षिण कौशल को भी अपने राज्य में मिलाना चाहते थे। दक्षिण कौशल के राजा की एक बेटी थी कौशल्या। दशरथ ने दक्षिण कौशल के राजा से उनकी बेटी कौशल्या से विवाह करने का प्रस्ताव रखा। दक्षिण कौशल के राजा ने भी प्रस्ताव स्वीकार कर लिया और इस तरह दशरथ-कौशल्या के विवाह के साथ दशरथ समस्त कौशल नरेश बन गए।