बहन का प्यार पाना आसान काम नहीं। पढ़े मजेदार कहानी
एक दिन छोटी बेटी मोना अचानक अपने पापा से बोली “पापा मुझे कोई भाई क्यों नहीं है ?मुझे भी राखी बाँधनी है ,मेरे भाई को”।
पवार साहेब का परिवार हसता-खेलता था ।उनको दो बेटियां थी ,सोना और मोना।दोनों बहनों में 3 साल का अंतर था।
मोना की इस बात पर पवार साहब जवाब देते हुए उसे समझाते हैं ” बेटा ,सब को सब कुछ नहीं मिलता ।भगवान जो देते हैं वह सोच समझ कर देते हैं अभी तुम्हें एक प्यारी सी बड़ी बहन दी है न, फिर तुम्हें एक भाई की क्यों जरुरत है?”
पिता की ऐसी बातें सुनकर मोना निराश हो जाती है और कहती है “काश ! मुझे सोना दी के बदले एक प्यारासा भाई होता ।मेरा भी मन करता है अपने भाई को राखी बांधने का ।”
बड़ी बहन सोना अपने पापा और मोना की सारी बातें सुन लेती है। वह बहुत उदास हो जाती है। सोना को उदास देख के उसके दादाजी एक फुटबॉल लेकर आते हैं। सोना से कहते हैं “मेरे साथ फुटबॉल खेलो”।
सोना दादाजी को जवाब देते हुए कहती है “ना दादाजी ना, यह तो लड़कों वाला गेम है”| दादाजी बोले “तो क्या हुआ ?तुम्हें पता है अपने देश में फुटबॉल खेलने के लिए महिलाओं की अलग टीम है।
“दादाजी, लड़कियाँ भी लड़को वाली गेम खेलती है?” सोना ने दादाजी से पूछा।
“हाँ बेटा , लड़कियां हर वह चीज करती है जो लड़के कर सकते हैं “दादा जी ने सोना को जवाब देते हुए कहा ।तभी सोना दादाजी को बाद में फुटबॉल खेलेंगे ऐसा करके कहते हुए निकल जाती हैं।
दादाजी, मोना और उसके पापा को सोफे पर बैठे देख वह भी उनके साथ बैठ जाते हैं । माँ चाय लाती है ।सब चाय पि रहे होते हैं, तभी सोना हॉल में राखी लेकर आती है ।
राखियों को देखकर मोना बोली “सोना दी, तु राखी लेकर क्यों आयी”? सोना बोली “मोना अभी तो, तु पापा से कह रही थी ना , तुझे राखी बांधनी है? “
“हाँ , लेकिन हमें कोई भाई नहीं है”। (मोना ने निराशा भरे स्वर में कहाँ ।)
सोना बोली “बेहना तु दिल छोटा मत कर। तु मुझे ही अपना बड़ा भाई समझ कर राखी बाँध दे”। मोना के आँख में आंसू आ जाते हैं। पापा को ,सोना दी के बदले कोई भाई होता अपने कही इस बात पर मोना को बहुत पछतावा आता है।
मोना अपनी बड़ी बहन सोना को राखी की बाँध देती हैं । पापा अपने दोनों बेटियों को सौ- सौ रुपये देते हैं ।
दादा जी को बड़ी बहन सोना की सूझ -बुझ देख कर बहुत ख़ुशी होती है। वह कहते हैं “सोना बेटा , तु अस्सल सोना है “।
सोना कहती हैं” दादा जी आज मेरी बहन मुझसे निराश हो गई ।वह पापा से कह रही थी , काश उसे मेरे बदले कोई बड़ा भाई होता । मुझे उसके लिए उसका बड़ा भाई बनना पड़ा ।सच में दादाजी बेहन की खुशी के लिए भाई बनना आसान है ,लेकिन एक बड़ी बहन बनना मुश्किल है।