श्रावण महीने में क्या क्या घटित हुआ था अध्यात्म (इतिहास) में, जाने
श्रावण महीना हर साल आता है, समाज धर्म से न जुड़े लोगो को टीवी में देख कर ही इसकी जानकारी मिलती है. जिन लोगो की श्रद्धा है वो इस महीने में ख़ास तरह से जीते है, मसलन महाराष्ट्र में इस दौरान मांसाहार बंद हो जाता है तो यूपी बिहार में कावड़ियों की धूम रहती है.
बहुत से लोग इस दौरान दाढ़ी बढ़ाते है, इनमे से बहुत से लोग सोमवार का उपवास भी रखते है और शिव जी को जल गाय का दूध बेल पत्र आक के फूल आदि आदि सामग्री से प्रसन्न करते है (चढ़ाते है). इस महीने को शिव का महीना कहा जाता है, ऐसा है भी लेकिन इसके अलावा भी इस महीने में बहुत सी ऐसी घटनाएं घटी थी जिनके बारे में कम ही लोग जानते है.
सबसे बड़ी घटना तो समुद्र मंथन की थी जिसके दौरान उससे निकले हलाहल विष को शिव जी ने अपने कंठ में धारण किया था. ऐसी भी मान्यता है की इस विष के प्रभाव से शिव जी को कुछ बेहोशी आने लगी थी तब देवताओ ने उनपे जल छिड़क आकर उन्हें चैतन्य में रखा था, इसी के चलते शिव जी को जल अर्पण करने की परम्परा बनी है.
श्रावण की शुरुवात से ठीक पहले देवशयनी एकादशी आती है उसी दिन से वामन अवतार राजा बलि के द्वार पर 4 महीने खड़े रहे थे (भिक्षा की आशा में). उस घटना के बाद आज भी भगवान् विष्णु बलि के राज्य (पाताल) में इस दिन से उनके दरवाजे पर 4 महीने खड़े रहते है.
इस दौरान जगत के पालनहार का काम (संघार के अलावा) भी शिव ही करते है, श्रावण के अंतिम दिन पूर्णिमा शिशुपाल वध हुआ था. उस समय श्री कृष्ण के अंगुली में चक्र की चोट से बहते हुए खून को कृष्णा (द्रौपदी) ने अपने चीयर के टुकड़े से रोका था जो की एक अद्भुद घटना थी.
श्रावण महीने के अंतिम सोमवार और पूर्णिमा के दिन ही श्री राम ने रामेश्वरम शिव लिंग की स्थापना की थी, इस दिन इस शिव लिंग पर ऋषिकेश से ले जाया गया गंगा जल चढ़ाने से मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति होती है ऐसी मान्यता है. इसके अलावा भी बहुत बड़ा इतिहास है जो हमारे जानकारी में नहीं है…