Y2K मामला किस क्षेत्र से संबंधित है?
इलेक्ट्रॉनिक कंप्यूटिंग के प्रारंभिक दौर के बाद, लगभग पूरी दुनिया में कंप्यूटर सिस्टम में साल को प्रदर्शित करने के लिए 4 की जगह पर 2 अंकों का प्रयोग ही होता था.
‘वाई 2के’ का वाई साल (ईयर) को प्रदर्शित करता है, तो वहीं 2के 2000 को.
सन 1999 खत्म होकर 2000 की शुरूआत होने वाली थी, लेकिन दुनियाभर के कंप्यूटर सिस्टम 31 दिसंबर, 1999 से आगे का साल बदल पाने में सक्षम नहीं थे.
सिस्टम अगले साल के लिए तारीख और महीना बदल सकते थे, लेकिन साल के दो आखिरी अंकों को छोड़कर पहले अंक नहीं बदले जा सकते थे और इस तरह से एक जनवरी 2000 को कंप्यूटरों में दिखने वाली तारीख 01/01/1900 ही रहती.
यानी कि समय से ठीक 100 साल पीछे. इस कारण ‘वाई 2के’ बग को ‘मिलेनियम बग’ भी कहा जाता है, जो एक प्रकार की कंप्यूटर कोडिंग की खराबी थी.