क्या दोस्ती निभाएंगे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, मुश्किल में पड़ गया है भारत का सच्चा और प्यारा दोस्त
अंतरराष्ट्रीय कूटनीति में कई दोस्त और साझेदारियां बनते बिगड़ते रहते हैं, जो कि बस किसी भी देश के नफे-नुकसान पर आधारित है । एक ऐसा भी समय था जब १९९८ में भारत ने पोखरण में परमाणु परीक्षण किया था, उस समय अमेरिका और ब्रिटेन सहित दुनिया के अधिकांश देश भारत के खिलाफ हो गए थे । लेकिन उस समय भी भारत का साथ देने वाला एक सच्चा मित्र था, और वो था रूस । रूस भारत के लिए आधी से ज्यादा दुनिया से लडने को तैयार था, और आज तक आजादी के बाद से यूनाइटेड नेशंस में भारत के साथ हर मुद्दे पर कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा रहा । रूस ही एकमात्र ऐसा देश है जो जरुरत पड़ने पर भारत से दोस्ती निभाने के लिए अपने नियम और प्रोटोकॉल भी तोड़ दिए ।
आज उसी रुस को भारत से बहुत बड़ी उम्मीद है, और उम्मीद भी इसलिए क्योंकि रूस मजबुर है । सेन्य शक्ति के मामले में तो आज भी रूस अमेरिका से एक कदम आगे है और किसी भी युद्ध में आज भी अमेरिका को मात देने की ताकत रखता है, जिस मामले रूस अपनी टांग अडा दें तो अमेरिका को आज भी पिछे हटना ही पड़ता है । लेकिन सेन्य शक्ति में सुपरपावर कहलाने वाला रूस आर्थिक मोर्चे पर अमेरिका से कई गुना पिछे है, रूस की अर्थव्यवस्था पूरी दुनिया में ११वे नंबर पर है । रूस अर्थव्यवस्था अमेरिकी प्रतिबंधों के कारण काफी गिर गई है ।
एक वो भी समय था जब पूरी दुनिया में रूस के हथियारों और लड़ाकू विमानों का बोलबाला था, तब रूस अपने हथियार और लड़ाकू विमानों की बिक्री से ही काफी मुनाफा कमा लेता था । लेकिन उसके बाद अमेरिका ने रूस पर और रूस से हथियार खरीदने वाले देशों पर प्रतिबंध लगाना शुरू किया जिससे रूस की अर्थव्यवस्था काफी नीचे गिर गई, और आज तक अमेरिकी प्रतिबंधों के कारण ये कभी भी उभर नहीं सकी । ऐसे रूस पांचवीं और छठी पीढ़ी की टेक्नोलॉजी का विकाश और रिसर्च के लिए भारत का सहयोग चाहता है ।
दरअसल रूस के डिफेंस वेवसाईट पर रसियन थिंक टैंक पर छपे इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि भारत को अपनी एयरफोर्स की जरूरतों को पूरा करने के लिए जो १०० से ज्यादा लड़ाकू विमान खरीदने हैं, उसके लिए रूस की मिग कॉर्पोरेशन का मिग-३५ एक सही विकल्प होगा । उन्होंने कहा कि रूस के मिग कॉर्पोरेशन ये सभी लड़ाकू विमान मैक इन इंडिया के तहत भारत में बनाने के लिए भी राजी है, और साथ में लाइफटाइम मेनटेनेंस और टेक्निकल सपोर्ट भी भारत को अपने देश में मिल जाएगी । ताकि इन सभी लड़ाकू विमानों को मेनटेनेंस या अपग्रेड के लिए भारत से बाहर रूस में न लाना पड़े । आगे उन्होंने इंटरव्यू में कहा कि रूस को इस समय एक बड़े रक्षा सौदे की बहुत जरुरत है, और दोनों देशों के अच्छे संबंधों को देखते हुए भारत को इस सौदे की मंजूरी दे देनी चाहिए ।
उन्होंने कहा कि अगर भारत इस नाजुक समय में रूस का साथ दे देता है तो दोनों देशों के संबंध नई ऊंचाईयों पर चले जाएंगे । वैसे भारत कौन-सा फाइटर जेट खरीदेगा और कौन-सा नहीं ये तो भारतीय एयरफोर्स या डिफेंस मिनिस्ट्री के विशेषज्ञ ही तय करेंगे । लेकिन भारत को भी ये याद रखना पड़ेगा कि जिस प्रकार अमेरिका अपने हथियार बेचने के लिए भारत को प्रतिबंध का डर दिखाना चाहता है, उस प्रकार अमेरिका से नजदीकियां बढ़ाने पर भी रूस ने कभी भी भारत को कुछ नहीं कहा । जब की अमेरिका के साथ रिश्ते तो हालही के सालों में सुधरे हैं और उससे पहले भारत सोवियत संघ के समय से रूस का मित्र है ।
हमारा मानना है कि भारत रूस से फाइटर जेट खरीदे या नहीं लेकिन हमें किसी अन्य रूप से रूस की अर्थव्यवस्था की मदद करनी चाहिए । क्योंकि किसी समय पर रूस ने भी हमारी मदद की थी, जितनी मदद दुनिया किसी दुसरे देश ने नहीं की । हमारा फर्ज बनता है कि आज हम अपने पुराने दोस्त की मदद करें । आपकी इसके बारे में क्या राय है निचे कमेन्ट करके जरूर बताएं, पोस्ट अच्छी लगी तो हमारे पोस्ट को लाइक शेयर और हमें फॉलो करना मत भूलना । ताकि हमारी पोस्ट सबसे पहले आप तक पहुंच सके ।