घर के निर्माण में रेगिस्तान या समुद्र की रेत का इस्तेमाल क्यों नहीं होता है

आप सभी ने इस बात पर ध्यान जरूर दिया होगा कि घर बनाते समय या फिर कोई और निर्माण कार्य करते समय नदी की मिट्टी जिसे बजरी भी कहा जाता है, उसका इस्तेमाल जरूर किया जाता है। लेकिन क्या आपने इस बात पर ध्यान दिया है कि घर बनाते समय या फिर कोई और निर्माण कार्य करते समय जिस रेत का इस्तेमाल किया जाता है, उसे नदनी में से निकाल कर लिया जाता है जबकि भारत में रेगिस्तान और समुद्र के किनारे भी रेत होती है। इस तरह के कामों में इस रेत का इस्तेमाल क्यों नहीं किया जाता है? और नदी से निकाल कर लाई गई रेत का ही इस्तेमाल क्यों किया जाता है?

समुद्र या रेगिस्तान से रेत संग्रहित करना नदी से रेत निकालने से काफी आसान होती है। बता दे कि घर बनाने में रेगिस्तान की रेत का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है क्योंकि निर्माण कार्य में मोटी मध्यम और महीन रेत का इस्तेमाल किया जाता है। समुद्र तट पर मिलने वाली रेत और रेगिस्तान की रेत निर्माण कार्यो में इस्तेमाल होने वाली सबसे महिन रेत से भी बारीक होती है और यही कारण है कि इसका इस्तेमाल इन कामों में नहीं किया जा सकता है।

इसकी एक वजह यह भी है कि नदी से मिलने वाली रेत थोड़ी खुरदरी होती है जो बाकी निर्माण सामग्री जैसे कि सीमेंट में घर्षण के कारण मजबूती प्रदान करती है और जबकि रेगिस्तान की रेत चिकनी, बारीक और गोल होती है और जिस कारण यह निर्माण सामग्री को बांधकर नहीं रख पाती है, जबकि नदी की रेत गोल नहीं होती है और इस वजह से घर्षण के कारण निर्माण को ज्यादा मजबूती देती है।

इसके अलावा समुद्र की रेत में एक और खामी यह है कि इसमें क्लोराइड मौजूद होती है जिससे निर्माण कार्यो में इस्तेमाल होने वाले स्टिक और जोड़ने लोहे में जंग लग जाएगी तो इन्हीं कारणों की वजह से रेगिस्तान और समुद्र की रेत का इस्तेमाल निर्माण कार्यों में नहीं किया जाता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *