सावन माह में शिव को क्यों चढ़ाये जाते हैं बेलपत्र, जानिये कुछ विशेष तथ्य

मान्यता है की इस माह में भगवान शिव की उपासना की जाए तो भक्तों की इच्छाओं को जरूर पूरा करते हैं। इस माह में बड़ी संख्या में लोग भगवान शिव का पूजन करते हैं। ऐसा माना जाता है की भगवान शिव की उपासना यदि बेलपत्र से की जाए तो वे अत्यंत प्रसन्न होते हैं। इस माह में लोग बेलपत्र को भी शिवलिंग पर चढ़ाते हैं तथा पूजन करते हैं। हिंदू धर्म के शिव पुराण में इस बात का उल्लेख किया गया है की भगवान शिव बेलपत्र सहित पूजन करने पर बहुत ज्यादा प्रसन्न होते हैं। लेकिन बेलपत्र चढाने के पीछे आखिर क्या कारण है और किन तिथियों को इनको पेड़ से नहीं तोडना चाहिए। इन सभी बातों को आज हम आपके सामने रख रहे हैं। आइये जानते हैं बेलपत्र से जुड़े कुछ विशेष तथ्य।

1 – खराब न हो चढाने वाला बेलपत्र
पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान शिव ने समुद्र मंथन से निकले हलाहल विष का सेवन किया था। अतः यदि कोई बेलपत्र के साथ भगवान शिव का पूजन करता है तो वह उनके मस्तक को ठंडक पहुंचाने जैसा ही कार्य करता है। इस कार्य से वे जल्दी प्रसन्न होते हैं। बेलपत्र तोड़ते समय इस बात का ध्यान रखा जाना चाहिए की उसमें 3 पत्तियां ही हों। इसके अलावा यह कटा फटा या खराब नहीं होना चाहिए। यदि आप बेलपत्र चढ़ाते समय जल भी चढ़ाते हैं तो भगवान शिव बहुत प्रसन्न होते हैं।

2 – इन तिथियों को न तोड़े बेलपत्र

बेलपत्र के संबंध में यह बात ध्याना रखनी चाहिए की इसको पूर्णिमा, अमावस्या, संक्रांति, चतुर्दशी, सोमवार तथा अष्टमी को नहीं तोडना चाहिए। सावन माह के लिए आप पहले ही बेलपत्र का इंतजाम करके रख लें। इसके अलावा आप इस बात का भी ध्यान रखें की बेलपत्र को सिर्फ भगवान शिव पर ही चढ़ाया जाता है। आप एक बेलपत्र को धो कर कई बार उसको चढ़ा सकते हैं।

3 – बेल वृक्ष घर पर लगाने का महत्त्व
मान्यता है की जिस घर में बेल वृक्ष लगा होता है। उस घर में भगवान शिव की कृपा सभी सदस्यों पर बनी रहती है। बेल वृक्ष को यदि आप उत्तर-पश्चिम दिशा में लगाते हैं तो आपको अपने जीवन में कीर्ति प्राप्त होती है। इसके अलावा उत्तर-दक्षिण में लगाने से घर में सुख-शांति बनी रहती है। इसके अलावा यदि आप बेल वृक्ष को घर के मध्य में लगाते हैं तो घर में धन तथा सुख -समृद्धि का वास हमेशा बना रहता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *