रक्षाबंधन से जुड़ी हैं ये पौराणिक कथाएं, जानिए सबसे पहले किस मनाया था रक्षाबंधन।

1.राजा दशरथ और श्रवण कुमार से जुड़ा है रक्षाबंधन। प्राचीन काल में पौराणिक कथा के अनुसार रक्षाबंधन की शुरुआत राजा दशरथ और सरवन कुमार के एक घटनाक्रम से हुआ था कहा जाता है कि जब राजा दशरथ के हाथों सरवन कुमार की मृत्यु हो गई तो उन्होंने अपने इस पाप से मुक्ति पाने के लिए उन्होंने पीपल के पेड़ को राखी बना था तब से इस परंपरा की शुरुआत हो गई किससे आप का दूसरे के साथ एक अटूट संबंध बन जाता है इसके अलावा राखी के बारे में एक और भी कहानी प्रचलित है की यह गुरु और शिष्य के संबंध को भी दर्शाता है।

2.महाभारत से भी जुड़ी है कहानी। ऐसा कहा जाता है कि महाभारत में श्री कृष्ण ने पांडव के सबसे भाई महाराज युधिष्ठिर को अपनी सेना के जीत को सुनिश्चित करने के लिए एक दूसरे को राखी बांधने का सुझाव दिया था इसके अलावा माता कुंती ने अपने पोते अभिमन्यु को महाभारत के युद्ध में विजय बनाने के लिए भी राखी बांधा था। इसके अलावा जब श्री कृष्ण ने द्रौपदी की लाज बचाई थी तो उन्होंने श्रीकृष्ण को राखी बांधकर अपना भाई बना लिया था इस प्रकार रक्षाबंधन का त्यौहार मनाने की परंपरा का शुरुआत हुआ था जो भाई के द्वारा बहन की रक्षा के लिए मनाया जाता है।

3.इंद्र की पत्‍नी ने बांधी थी राखी। पौराणिक कथा के अनुसार जब भगवान इंद्र और दानव के बीच में युद्ध हुआ तो एक समय ऐसा आया कि जब देवताओं की जान खतरे में आ गई थी तब देवताओं के गुरु बस पति ने पत्नी को या सुझाव दिया कि वह सभी देवताओं के हाथों में राखी बांधी जाकर उन्हें इस संकट से मुक्ति मिलेगी वाक्य में युद्ध में विजय हुई उसके बाद से ही इस परंपरा की शुरुआत हो गई।

4.राजा बलि और माता लक्ष्‍मी ने भी मनाया था रक्षाबंधन। प्राचीन काल में ऐसा कहा जाता है कि जब राजा बलि की परीक्षा देने के लिए जा विष्णु भगवान बुद्ध का क्या है तो उन्होंने उनसे दान में तीन पग भूमि की मांग की जब तीन पग भूमि की नाप की गई तो राजा बलि का पूरा राज पाठ और उनकी समस्त संपत्ति उसके अंदर में आ गई जब तीसरा पग आगे बढ़ा तो राजा बलि समझ गए यह भगवान विष्णु है और उन्होंने भगवान विष्णु से कहा कि मेरी सारी चीज आपके पास चली गई है अब मेरे पास कुछ भी नहीं बचा हुआ है मैं आपसे विनती करता हूं कि आप मेरे साथ पताल लोक चले जब भगवान विष्णु अपने बैकुंठ वापस नहीं आई तो माता लक्ष्मी बहुत ज्यादा चिंतित होकर अपने पति को वापस लाने के लिए उन्होंने एक स्त्री का रूप धारण किया और राजा बलि के पास पहुंच गई और उन्होंने राजा बलि को राखी बांधी और राखी के उपहार स्वरूप उन्होंने अपने पति की मांग की थी। जिसके बाद राजा बलि ने उपहार के रूप में भगवान विष्णु को लौटा दिया इस प्रकार इस दिन से ही राखी त्यौहार का आरंभ दुनिया में होने लगा था।

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