The only fort of India where you cannot stop after sunset, know the secret of this fort

भारत का एकमात्र किला जहां सूर्यास्त के बाद नहीं रूक सकते आप, जानिए इस किले का रहस्य

भारत में कई सारी जगहें है जो मोस्ट हॉन्टेड है। इन हॉन्टेड जगहों को देखने और जानने के लिए लोग अक्सर उत्सुक रहतें हैं। अगर अभी गूगल पर सर्च किया जाए कि ‘भारत में हॉन्टेड जगहें कौन सी है’ तो इस लिस्ट में ‘भानगढ़ का किला’ सबसे पहले आता है। इस किले में ऐसा क्या है कि सरकार द्वारा यहां पर रात को न ठहरने के आदेश दिए गए हैं आइये इस किले के रहस्य और इसके इतिहास के बारे में विस्तार से जानते हैं।

भानगढ़ का किला राजस्थान के अलवर जिले में स्थित है। यह पर कानूनी रूप से सूर्योदय से पहले और सूर्यास्त के बाद जाना मना है। यह किला 17 वीं शताब्दी में बनाया गया था। इसे भगवंत दास ने अपने छोटे बेटे माधोसिंह प्रथम के लिए बनवाया था। किले और इसके इलाके आज भी अच्छी तरह से संरक्षित हैं।

अंधेरा होते ही सबको कर दिया जाता है बाहर :

अंधेरा होने के बाद किले में किसी को भी जाने की अनुमति नहीं है। भानगढ़ के स्थानीय लोग कई कहानियां सुनाते हैं सरकार ने कई साइन बोर्ड लगाते हुए कहा है कि रात में किले में प्रवेश करना निषेध है। वैसे किले के भूतिया होने की कई कहानियां मौजूद है। स्थानीय लोग और इतिहासकार इस बारें में अलग राय और तथ्य बताते हैं।

किवदंती है कि गुरु बालू नाथ द्वारा भानगढ़ किले पर एक श्राप है। यह स्थान उनके लिए समाधि स्थल था लेकिन अचानक राजा मान सिंह ने गुरु बालू नाथ की समाधि स्थल पर एक किले का निर्माण करने का निर्णय लिया। राजा ने गुरु बाला नाथ को मना लिया कि किले की परछाई उनके समाधि को नहीं छुएगी और अगर ऐसा होता है, तो पूरा गांव बर्बाद हो जाएगा। जब किले का निर्माण हुआ तो छाया ने उसे छू लिया और गाँव नष्ट हो गया।

इस किले को जुड़ी है कई कहानियां :

एक कहानी बाबा बालकनाथ को लेकर भी मशहूर है। कहा जाता है यह किला बाबा बालकनाथ के श्राप से ग्रसित है। भगवंत दास ने बाबा बालकनाथ को मना करके इस किले का निर्माण कराया। लेकिन बालकनाथ ने किले के निर्माण के वक़्त एक शर्त रख दी थी कि किले का निर्माण हो लेकिन इसकी परछाई मेरी झोपड़ी पर पड़ी तो उसी वक़्त तुम्हारा राजपाट ख़त्म हो जायेगा। भगवंत दास उनकी इस बात पर मान गए। किला बनवाया गया लेकिन उसकी छाया बालकनाथ के झोपड़ी पर नहीं पड़ी।

जब भगवंत दास की मृत्यु हो गयी तो उनके बेटे अजब सिंह ने इस किले का निर्माण फिर से कराया और इसको इतना ऊँचा बनाया कि इसकी परछाई बालकनाथ के झोपड़ी पर पड़ने लगी। इसके बाद बालकनाथ का श्राप इस किले पर लग गया और यह किला बर्बाद होकर भूतिया बन गया।

इस किले में कई लोग हो चुके हैं लापता :

यह किला यूँ ही भूतिया नहीं माना जाता है इसका साक्ष्य भी कई बार मिल चुका है। एक बार कुछ छात्र अपने दोस्तों के साथ इस किले में घुसे लेकिन दुबारा वापस लौट के नहीं आये। स्थानीय लोग दृढ़ता से विश्वास करते हैं कि इस किले में भूतों का अस्तित्व हैं। उन लोगों का मानना है कि इस किले में बने मंदिर गांववालों की रक्षा करते हैं। भानगढ़ आते ही हनुमान, मंगला देवी, कृष्ण केशव, सोमेश्वर मंदिर सहित कई मंदिर देखने को मिल जाते हैं।

इन मंदिरों को देखकर आश्चर्य होगा क्योंकि किले के अंदर किसी भी मंदिर पर छत नहीं है लेकिन मंदिर फिर भी आजतक सुरक्षित हैं। जब भी लोग छत का निर्माण करते हैं, तो यह बिना किसी कारण के खुद गिर जाता है। यही कारण है कि लोगों ने मंदिर पर छत बनाना छोड़ दिया है।

एक तांत्रिक के श्राप से वीरान हो गया भानगढ़ :

इस किले के भूतिया होने की एक और कहानी है। यह कहानी एक तांत्रिक और राजकुमारी रत्नावती की है। तांत्रिक को सुंदर राजकुमारी से प्यार हो गया और वह उसे पकड़ना चाहता था। उसने एक बार तेल पर काला जादू किया, यह तेल राजकुमारी के बालों के लिए था। रत्नावती को इस बारे में पता चला और उसने पत्थर पर तेल फेंक दिया और बाद में उस पत्थर ने तांत्रिक को मार डाला।

मरते-मरते तांत्रिक ने उस नगरी व राजकुमारी को नाश होने का श्राप दे दि‍या और संयोग से उसके एक महीने बाद ही भानगढ़ की अपने पड़ोसी राज्य अजबगढ़ से लड़ाई हो गई और उस लड़ाई में राजकुमारी सहित भानगढ़ के सभी निवासी मारे गए और पूरा भानगढ़ वीरान हो गया। यहीं से यह किला भूतिया बन गया। कहते हैं कि आज भी इस किले में राजकुमारी रत्नावती की चीख गूंजती है।

यहां आने वाले हर पर्यटक का स्वागत किया जाता है, लेकिन भानगढ़ किले का दौरा करने के लिए विशेष अनुमति की आवश्यकता होती है। अधिकांश लोगों के लापता होने की सूचना यहाँ मिली है और उनमें से अधिकांश विदेशी हैं। इसलिए यहाँ विदेशियों के प्रवेश करने की अनुमति जल्दी नहीं मिलती है।

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