भारत के आखिरी गोल्डन लंगूर की हुई मृत्यु और इसी के साथ वह बन गया एक इतिहास

आपको बता दें कि भारत में वन्य जीवों के शिकार पर प्रतिबंध लग हुआ है लेकिन आज भी चोरी छिपे जंगलों में जानवरों का शिकार हो रहा है। जिस कारण ये जंगली जानवर दुर्लभ हो गए हैं और कई जानवरों की प्रजाति तो विलुप्त होने के कगार पर है।

इसी बीच असम से एक ऐसी खबर सामने आई है, जिसने एकबार फिर सरकारी लापरवाही और जलवायु परिवर्तन की आपदा पर मोहर लगाया है।

एक वन्य अधिकारी के अनुसार, लगभग एक दशक पहले गोल्डन लंगूरों की ब्रह्मपुत्र नदी के टापुओं पर अच्छी खासी तादाद थी। हरे पत्ते, फल और फूल खाने वाले इन लंगूरों को पर्यटक बिस्किट, ब्रेड, केक आदि खिलाने लगे। जिस कारण उनकी सेहत कई बार बिगड़ते देखी गई।

वहीं, एक जानकार के अनुसार, बदलते मौसम, शिकार और प्रजनन ना होने के कारण भी गोल्डन लंगूरों की तादाद कम हो गई। इसके बाद 2011 में केवल पांच गोल्डन लंगूर बचे थे। इन 5 लंगूरों ने में से 2 लंगूरों को वन विभाग ने असम के स्टेट जू में रख दिखा, लेकिन उन्होंने भी दम तोड़ दिया।

बता दें कि असम के उमानंदा द्वीप से आखिरी गोल्डन लंगूर ने भी दम तोड़ दिया है। असम ट्रिब्यून के मुताबिक उमानंदा द्वीप पर एकलौता गोल्डन लंगूर बचा था, लेकिन उसने भी दम तोड़ दिया है। हालांकि उसके मौत के कारणों का पता नहीं चल सका है।

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