रावण की कुछ ऐसी बातें जिसे आप नहीं जानते !

जैसे ही रावण का नाम आता है हमारे मन में एक अहंकारी राजा एक क्रूर असुर , और सब तुछ समझने वाले राक्षस की छवि नजर आती है, लेकिन बहुत कम लोग ही जानते हैं कि रावण एक सर्व शक्तिशाली एक कुशल राजा और एक बहुत ही बुद्धिजीवी इंसान और अपने परिवार की रक्षा के लिए किसी भी हद तक जाने वाला भगवान शिव का एक सच्चा भक्त था ,

रावण बचपन से ही ना तो एक ब्राह्मण था और ना ही एक राक्षस था वो ऋषि विश्रवा का पुत्र था जो कि एक बुद्धिमान ब्राह्मण ऋषि थे, रावण की मां का नाम केकसी था और वो ऋषि विश्रवा की दूसरी पत्नी थी, रावण की मां के केकसी एक क्षत्रिय राक्षस थी जिसे ब्रह्मराक्षस भी कहते है,यही कारन था की रावण के पास बचपन से ब्राह्मण की तेज बुद्धि और असुर की ताकत थी !

रावण एक निडर कुशल राजा था उसकी कुसलाता का प्रमाण खुद प्राचीन श्री लंकन ग्रंथ देते हैं आपको बता दें कि प्राचीन श्री लंका ग्रंथ में रावण को सबसे शक्तिशाली और सबसे कुशल बुद्धिमान राजा माना जाता है, आज भी रावण के काल में ही श्रीलंकन प्रजा सबसे सुखी थे ऐसा वहां के लोग मानते हैं , भारत के कई हिस्सों में भी उसकी विधिवत पूजा की जाती है जैसे की आंध्र प्रदेश ,राजस्थान और भी भारत के कई हिस्सों में इनकी पूजा की जाती है।

रावण के कुशलता का प्रमाण एक ये भी है जब हमारे यहाँ के राजा और योद्धा विमान के बारे में जानते भी नहीं थे तब रावण के पास 4 हवाई अड्डे और कई विमान थे , रावण के द्वारा बनाया गए हवाई अड्डे आज भी श्रीलंका में स्थित है !

रावण इतना बुद्धिमान था की वो अगर किसी चीज को एक बार पढ़ लेता था तो वो उसे याद हो जाता था चाहे वो कठिन संस्कृत श्लोक हो या ग्रन्थ , रावण ने “शिव तांडव स्त्रोत” खुद लिखा था और तो और जो “लाल किताब” है जिसमे हमे हस्त रेखा , जनम कुडंली का सटीक विवरण मिलता है वो भी रावण ने लिखा है !

रावण कला में भी महारथी था और इसका प्रमाण है माता सरस्वती के हाथों में स्थित रूद्र वीणा है जिसका निर्माण रावण ने अपने सर ,भुजा और धमनियों से किया था , रावण रूद्र वीणा बजाने में भी माहिर था और इसी वजह से भगवन शिव के कहने पे रावण से चारों वेदो को सगीतबद्ध भी किया था !

रावण को रावण नाम भी शिवजी ने ही दिया था , कहा जाता है एक बार रावण भगवान शिव को लंका ले जाना चाहते थे पर शिवजी ने मना कर दिया तो रावण कैलास पर्वत उठाने लगा फिर शिवजी ने अपना पैर पर्वत पे रख दिया जिस कारन रावण की उँगलियाँ पर्वत के नीचे दब गयी रावण दर्द होने बावजूद रावण तेज तेज आवाज में शिव तांडव करने लगा ये देख के शिवजी को काफी आश्चर्य हुआ और उसने तभी ही उसका नाम रावण रख दिया ” रावण का मतलब होता है तेज तेज आवाज में दहारना ” !

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