दूसरे को बेची कार या बाइक और हो गया हादसा! आपको भरना पड़ सकता है मुआवजा, हाई कोर्ट

एक रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय बाजार में पुराने वाहनों की खरीद फरोख्त नए के मुकाबले तेजी से बढ़ रही है। जहां एक तरफ पुराने वाहन खरीदते समय खास ध्यान देने की जरूरत होती है वहीं पुराने वाहन बेचते वक्त भी खासे चौकन्न रहना जरूरी है। यदि आपने अपनी पुरानी कार या बाइक बेच दी और आपको पैसे मिल गए हैं तो यहीं पर आपकी जिम्मेवारी खत्म नहीं हो जाती है। यदि आप ऐसा सोचते हैं तो आप गलत हैं! क्योंकि इस बात की तस्दीक करना बेहद जरूरी है कि उक्त वाहन के दस्तावेज ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट में नए मालिक के नाम से दर्ज हुए हैं या नहीं?

क्योंकि हाथ में पैसे आ जाना या फिर वाहन बेचने का कोई डिलीवरी नोट मात्र मिल जाना ही काफी नहीं है।

मोटर व्हीकल एक्ट के मुताबिक जब तक ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट में उक्त वाहन के नए मालिक का नाम दर्ज नहीं हो जाता है तब तक वाहन का असली मालिक पुराना ही होता है। ऐसी स्थिति में किसी भी तरह ही बात होने पर पहले मालिक को ही जिम्मेवार माना जाता है। ऐसे ही एक मामले में मुंबई हाईकोर्ट ने एक बेहद ही हैरान करने वाला फैसला सुनाया है।

हाल ही में मुंबई हाईकोर्ट ने एक एक्सीडेंट के मामले की सुनवाई की, इस दौरान कोर्ट ने वाहन बेचने वाले पुराने मालिक द्वारा ही पीड़ित व्यक्ति को मुआवजा देने का फैसला सुनाया है। ऐसा इसलिए हुआ है क्योंकि वाहन का मालिकाना हक अभी भी पुराने मालिक के ही नाम पर था। मोटर व्हीकल एक्ट के सेक्शन 50 के मुताबिक, वाहन की बिक्री के बाद, स्वामित्व को एक निर्धारित समय अवधि के भीतर ही स्थानांतरित किया जाना चाहिए। लेकिन इस मामले में दुर्घटना के समय भी वाहन पुराने मालिक के ही नाम पर था।

दरअसल ये पुराना मामला है जिसमें, एक अपीलकर्ता ने अपने पुराने वाहन को किसी अन्य व्यक्ति के हाथों बेच दिया था और आरटीओ के रिकॉर्ड में वाहन स्थानांनतरण के लिए खरीदार को एक डिलीवरी नोट और आवश्यक दस्तावेज भी सौंप दिए थें। लेकिन इससे पहले कि वाहन खरीदने वाला व्यक्ति इस प्रक्रिया को पूरा कर पाता उस वाहन के साथ एक दुर्घटना हो गया।

इस हादसे में एक व्यक्ति गंभीर रूप से घायल हो गया और उसे अस्पताल में भर्ती होना पड़ा। जिसके बाद पीड़ित व्यक्ति ने उक्त वाहन के खिलाफ एक मामला दायर किया। इस मामले में मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण, मुंबई ने कहा कि वाहन जिसके नाम पर है वो ही पीड़ित को मुआवजा देने के लिए उत्तरदायी है।

इससे पहले 2012 में मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण, मुंबई ने अपीलकर्ता को ही इस मामले में वाहन का विक्रेमा ठहराया था। इस मामले में कोर्ट ने अपीलकर्ता को ही आदेश दिया था कि वो पीड़ित को प्रति वर्ष 7.4 प्रतिशत के ब्याज के साथ 1,34,000 रुपये के मुआवजे की पूरी रकम का भुगतान करे। इसके बाद, विक्रेता ने मुंबई के उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया जिसे बाद में खारिज कर दिया गया।

जब अपीलकर्ता हाईकोर्ट पहुंचा तो सुनवाई के दौरान उच्च न्यायालय ने माना है कि दुर्घटना के दिन, क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय (RTO) के रिकॉर्ड में वि​क्रेता ही वाहन का मालिक था। ऐसी स्थिति में विक्रेता को की मुआवजे का भुगतान करना चाहिए। अदालत ने अपनी फैसले की कॉपी में कहा है कि “अपीलकर्ता ने मोटर व्हीकल एक्ट के सेक्शन 50 के मुताबिक निर्धारित समय के भीतर वाहन के स्थानांतरण की सूचना नहीं दी थी।” इस एक्ट के अनुसार विक्रेता ही उस वाहन का मालिक बना रहा, इस वजह से वो ही दुर्घटना में मुआवजे का उत्तरदायी है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *