15 वर्षों से भारत के इस ऐतिहासिक मंदिर के दर्शन करने की अनुमति नहीं है किसी भी महिला को
आपको बता दें कि 1500 साल पहले से चली आ रही परंपरा के अनुसार, महिलाओं को सबरीमाला मंदिर में प्रवेश करने की अनुमति नहीं थी।
यह मामला 10 साल से अधिक समय से अदालत में चल रहा था, इस ऐतिहासिक मंदिर से जुड़ी 1500 साल पुरानी परंपरा क्या है और महिलाओं को इसमें प्रवेश की अनुमति क्यों नहीं दी गई।
आपको बता दें कि केरल के ऐतिहासिक सबरीमाला मंदिर में 10 से 50 साल की उम्र की महिलाओं के प्रवेश पर प्रतिबंध था। पहाड़ियों पर बने इस मंदिर में हर साल लाखों भक्त आते हैं, लेकिन मुख्य रूप से पुरुष केवल 10 साल की महिलाओं के बीच होते हैं। उम्र से कम उम्र की लड़कियों और 50 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं को वहां आने की अनुमति है।
सबरीमाला मंदिर वर्ष में नवंबर से जनवरी तक केवल भक्तों के लिए खुलता है, बाकी महीने बंद रहता है, भगवान अय्यप्पा को ब्रह्मचारी और तपस्वी माना जाता है, इसलिए मासिक धर्म आयु वर्ग में प्रवेश करने वाली महिलाओं को मंदिर में जाना प्रतिबंधित है।
दक्षिण पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान अयप्पा को भगवान शिव और मोहिनी (भगवान विष्णु का रूप) का पुत्र माना जाता है। जिसका नाम हरिहरपुत्र भी है।
यहां आने वाले तीर्थयात्रियों को 40 दिन पहले से सात्विक और पवित्र जीवन शैली अपनानी होती है।
मंदिर तक पहुँचने के लिए 18 पवित्र सीढ़ियों पर चढ़ना पड़ता है, जिसमें से पहले पाँच सीढ़ियों को मानवीय गुणों का प्रतीक माना जाता है, फिर 8 सीढ़ियाँ मानवीय भावनाएँ हैं, अगली 3 सीढ़ियाँ मानवीय गुण हैं और अंतिम दो सीढ़ियाँ हैं ज्ञान और अज्ञान का प्रतीक।