साँप कितना भी जहरीला क्यों ना हो यह आदमी पकड़ लेता है अपने हाथों से
वेस्टर्न घाट की खुपसुर्ती, बॅक वाटरस की शांति, ये है देवो का क्षेत्र “केरला”। जिसकी राजधानी “तिरुवनंतपुरम” रहने के लिए एक उत्तम सिटी है। सिर्फ इंसानों के लिए ही नही, सापो के लिए भी।
वजह है वेस्टर्न घाट के ये रेन फॉरेस्ट जो सापो के आवास के लिए एकदम सही वातावरण प्रदान करते है। जी हाँ केरला में 20 तरह की सापो की प्रजाति पाई जाती है। “जिसमे किंग” कोबरा ओर “रसल्स वाईपर” जैसे जहरीले साप भी शामिल है। ये साप कभी-कभी तो घर मे भी घुस जाते है। इसकी वजह ये भी है, की यहा के घर नेचर के बोहत पास है। पर जब भी यहा के घरों में कोई साँप मिलता है, तो लोग कॉल लगाते है। किसी सपेरे को नही “वावा सुरेश” को।
पिछले 30 सालों में देश भर में 52 हजार साँपो को बचाने वाले “वावा सुरेश” है “द स्नैक मैन ऑफ इंडिया”। वावा सुरेश बताते है कि उन्होंने 12 साल की उम्र से ही साँप पकड़ना शुरू कर दिया था।
आप यकीन नही करेंगे हर 10 मिनीट में इनका फोन बजता है। ओर एक दिन में कम से कम 200 कॉल्स आते है, जो यातो साँप पकड़ने के लिए होते है, यातो साँपो के बारे में कोई जानकारी लेने के लिए। अबतक 146 किंग कोबराज को बचाने वाले “वावा” अपने साथ कोई सुरक्षा उपकरण नही ले जाते। ओर तो ओर साँप कितना भी जहरीला क्यों न हो ये कोई सुरक्षा कवच भी नही पेहेनते। वो कहते है “मुझे सुरक्षा की जरूरत नही, साँपो को सुरक्षा की जरूरत है”।
दोस्तो आपको में आपको बता दु की कई बार सापो को बचाते वक्त किंग कोबरा जैसे सापो ने उन्हें काटा भी है। वावा सुरेश का कहना है कि लोग साँपो के डरे नही ओर हमारे इकोसिस्टम में साँपो का महत्व समझे। साँपो को बचाना ओर उन्हें उनके वास्तविक स्तान पर छोड़ना ही वावा सुरेश का पेशा है। और कमाल की बात तो ये है कि वो यह काम करने के कोई पैसे नही लेते।
आपको बता दें कि वैद्यानिक इनके शरीर पर परीक्षण कर रहे है, की इतने जहरीले साँपो के काटने के बाद भी ये इंसान जिंदा कैसे है। तो बात ऐसी है कि इन्हें कम जहरीले साँपो ने तो कही बार काटा है जिसकी वजहसे इनके शरीर मे अपने आप एंटीबॉडीज तैयार हो गए है।
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