बच्चों में मानसिक बीमारियां बन सकती है बड़ी परेशानी!

बच्चों में मानिसक बीमारियां होना आम बात है लेकिन इसकी समय से पहचान कर पाना माता-पिता के लिए एक चैलेंज हो सकता है। बच्चों में मानसिक बीमारियों का कारण केवल स्ट्रेस नहीं है उससे कहीं ज्यादा है। दूसरी बीमारियों की तरह बच्चों में मानसिक बीमारियां भी ठीक की जा सकती है और यह बच्चे एकदम ठीक होकर नॉर्मल जिंदगी जी सकते हैं।

बच्चों में मानसिक बीमारियां होना वैसे तो सामान्य है लेकिन एएसडी के कुछ शुरुआती लक्षण है, जों उनके शुरुआती दो साल में नजर आते हैं। इन लक्षणों की वजह के बच्चों के सामाजिक विकास पर गहरा असर पड़ता है। हर बच्चे में इसके लक्षण अलग-अलग हो सकते हैं। किसी में ये लक्षण ज्यादा होते हैं, तो किसी में बहुत कम।

बच्चों में चिंता किसी भी तरह का फोबिया या अधिक डर कहलाता है। बच्चों में मानसिक बीमारियां होने की वजह से उन्हें कभी-कभी चीजों से डर या फोबिया हो जाता है। यह डर किसी भी चीज का हो सकता है। वह चाहें तेज आवाज, जानवरों का डर, पानी से लेकर कुछ खास जगहों जैसे स्कूल और अस्पताल जाने का डर हो सकता है। बच्चों में मानसिक बीमारियां होने के कारण बच्चा अपने फोबिया का रिस्पॉन्स अलग-अलग तरह से देता है। जैसे रोना, नखरे दिखाता है, दूर भागना या चीजों को अवॉयड करना। इसके अलावा बच्चों में कभी-कभी साइकोमैटिक लक्षण भी दिखते है जैसे पेट दर्द या सिरदर्द।

बच्चो में मानसिक बीमारियां ठीक करने का सबसे बड़ा रास्ता है उनसे बात करना। डॉक्टर भी सुझाव देते हैं कि आप अपने बच्चे की एंग्जायटी को कैसे कम कर सकते हैं। हालांकि, अगर बच्चों की मानसिक बीमारियां आपके कंट्रोल से बाहर होने लगती हैं, तो जल्द से जल्द डॉक्टर से बात करना बच्चे के तनाव को कम कर सकता है।

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