जानिए ब्रेन स्ट्रोक होने पर क्या करें

स्ट्रोक या ब्रेन स्ट्रोक एक ऐसी चिकित्स्कीय समस्या होती है, जिसमें दिमाग में रक्त प्रवाह पर्याप्त न होने के कारण मस्तिष्क की कोशिकाएं नष्ट होने लगती हैं। इससे दिमाग के कार्य में बदलाव आते हैं और व्यक्ति के अंग ठीक से काम नहीं कर पाते। ब्रेन स्ट्रोक हार्ट अटैक जैसा ही होता है, लेकिन ये दिमाग में होनी वाली समस्या है। स्ट्रोक के कारण शरीर की एक तरफ के भाग में महसूस करने की क्षमता चली जाती है, जिससे व्यक्ति इस तरफ के अंग न हिला पाता है और न ही कोई काम कर पाता है।

दिमागी दौरा पड़ने का कारण आमतौर पर दिमाग की नसों में रुकावट या दिमाग में रक्तस्त्राव होता है। दोनों ही तरह की समस्या होने पर व्यक्ति को शरीर के एक तरफ के अंगों को हिलाने व उनसे काम करने में दिक्कत होती है। ये हमेशा ही एक आपातकालीन स्थिति होती है और इसके लिए जितना जल्दी हो सके उतना जल्दी डॉक्टर के पास जाना चाहिए।

दिमागी दौरा पड़ने पर क्या होता है –
दिमागी दौरा पड़ने पर शरीर के एक तरफ में पैरालिसिस हो जाता है, जिसके कारण व्यक्ति न अपने अंग हिला पाता है न ही उनसे कोई भी काम कर पाता है। इसके कारण निम्नलिखित समस्याएं होती हैं –

अचानक से धुंधला दिखने लगना या दिखना बंद हो जाना
बोलने और समझने में दिक्कत होना।
निगलने में कठिनाई होना।
सिरदर्द होना।
मतली या उल्टी होना।
चहरे, हाथ या पैरों का सुन्न होना या उन्हें हिला न पाना।
मूत्र या मल पर नियंत्रण न रहना।
चलने में और अंगों का ताल-मेल बिठाने में दिक्कत आना।
बेहोश होना।
शरीर की एक तरफ कमजोरी होना।
चक्कर आना।
हाथ या पाँव में दर्द होना और हिलाने से दर्द बढ़ना।

ब्रेन स्ट्रोक होने पर क्या करें –
दिमागी दौरा पड़ना एक आपातकालीन स्थिति होती है, जिसके लिए तुरंत चिकित्सा लेना आवश्यक होता है। अगर आपके अास-पास किसी को ब्रेन स्ट्रोक के लक्षण अनुभव हो रहे हैं, तो सबसे पहले एम्बुलेंस को फोन करें और फिर निम्नलिखित तरीके से मदद आने तक व्यक्ति को प्राथमिक चिकित्सा दें –

शांत रहें और व्यक्ति को भी शांत रखने का प्रयास करें।
व्यक्ति को सहारा दें, क्योंकि वह गिर सकता है।
व्यक्ति को सुरक्षित और आरामदायक तरीके से लिटा दें।
हो सके तो व्यक्ति को उसकी एक तरफ करके लिटाएं और उसके सिर को थोड़ा ऊपर उठा दें।
किसी भी हाल में व्यक्ति को अकेला न छोड़ें।
अगर व्यक्ति ने टाइट कपडे पहने हैं, तो उन्हें ढीला कर दें।
व्यक्ति की नब्ज चेक करें।
इसके बाद ये देखें कि व्यक्ति सांस ले रहा है या नहीं।
अगर व्यक्ति सांस नहीं ले रहा है या उसकी नब्ज नहीं चल रही है, तो उसे सीपीआर दें।
अगर व्यक्ति को सांस लेने में दिक्कत हो रही है, तो उसके गले से कोई भी टाइट चीज हटा दें, जैसे टाई या चुन्नी आदि।
व्यक्ति को चादर ओढ़ा दें, ताकि उसका शरीर गर्म रहे।
अगर व्यक्ति के हाथ या पैर में कमजोरी हो रही है, तो उसके हाथ-पैर हिलाएं नहीं।
इस बात को नोट करें कि व्यक्ति के लक्षण होने के बाद मदद आने तक कितना समय हुआ है और डॉक्टर को बताएं।
जितना जल्दी हो सके घर का दरवाजा खोल दें, ताकि मदद जल्दी व्यक्ति तक पहुंच सके।

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