जानिए थ्रस्टर व्यायाम करने का सही तरीका और लाभ
जिमों और पार्कों में घंटों व्यायाम करने की बजाय धीरे-धीरे लोग अब कंपाउंड व्यायामों की तरफ बढ़ रहे हैं। शरीर के समग्र विकास के लिए कंपाउंड व्यायाम काफी फायदेमंद हैं। समय के साथ-साथ इसमें व्यायामों की नई-नई श्रंखला जुड़ती गई, जिससे यह लोगों के बीच खूब पसंद किया जाने वाला व्यायाम बन गया। क्रॉसफिट, एचआईआईटी, सर्किट ट्रेनिंग जैसे अभ्यासों ने कंपाउंड व्यायाम को और सरल और लोकप्रिय बना दिया है।
थ्रस्टर भी इसी तरह का एक व्यायाम है जो दो कंपाउंड व्यायामों को एक साथ शामिल करते हुए किया जाता है जिससे लगभग पूरे शरीर की मांसपेशियां सक्रिय रूप में आ जाती हैं। ओवरहेड या शोल्डर प्रेस और फ्रंट स्क्वाट को एक साथ मिलाकर किया जाने वाला यह व्यायाम एक ही समय में कई सारे लाभ देता है। इन दोनों व्यायामों को अलग अलग करने में अधिक वक्त लगता है, लेकिन जब आप इसे थ्रस्टर के रूप में करते हैं तो समय बचाने के साथ-साथ आप अधिक प्रभाव से अपने शरीर की मांसपेशियों का व्यायाम कर पाते हैं।
थ्रस्टर व्यायाम करने का सही तरीका –
वैसे तो थ्रस्टर दो अलग-अलग अभ्यासों का संयोजक व्यायाम है, लेकिन दो तीव्र क्षमता वाले व्यायामों को एक साथ करने के लिए शरीर में नियंत्रण और स्थिरता की बहुत अधिक आवश्यकता होती है। अगर आप इस व्यायाम की शुरुआत करने के बारे में सोच रहे हैं तो बिना किसी वजन के ही कुछ दिनों के लिए इससे अभ्यस्त होने का प्रयास करें। इससे आप अच्छे से व्यायाम को समझ कर वजन के साथ इसकी शुरुआत कर सकते हैं।
किन उपकरणों की होगी आवश्यकता
वजन वाले प्लेटों के साथ एक बारबेल या डम्बल अथवा केटलबेल्स
किन मांसपेशियों पर होता है असर
शरीर का निचला हिस्सा : ग्लूट्स, क्वाड्रिसेप्स, हैमस्ट्रिंग और कोर
शरीर का ऊपरी हिस्सा : कंधे, पीठ और ट्राइसेप्स
सेट और रैप
10 रैप के 3 सेट के साथ शुरुआत कर सकते हैं।
कैसे करें व्यायाम
छाती को आगे करते हुए सीधे खड़े हो जाएं, घुटनों को थोड़ा झुकाकर रखें। कंधों पर बारबेल को रखते हुए स्क्वाट जैसी स्थिति बनाएं।
अब अपने घुटनों को झुकाते हुए फ्रंट स्क्वॉट की तरह कूल्हों को पीछे करें और पीठ को सीधा रखें। जांघों को फर्श के समानांतर रखें।
अब पैरों पर तेज बल का प्रयोग करते हुए घुटनों को सीधा करें और ऊपर की ओर आएं।
इसी व्यायाम के दौरान हाथों को सिर के ऊपर ले जाते हुए शोल्डर प्रेस व्यायाम भी करें।
थ्रस्टर व्यायाम के लाभ –
सिर्फ एक मांसपेशी पर ध्यान केंद्रित करने वाले अभ्यासों की तुलना में थ्रस्टर अपेक्षाकृत उच्च तीव्रता वाला व्यायाम है। इस व्यायाम के निम्नलिखित लाभ होते हैं।
कई मांसपेशियों पर एक साथ डालता है प्रभाव : इस व्यायाम के दौरान एक ही वक्त में कई सारी मांसपेशियां सक्रिय अवस्था में आ जाती हैं। क्वाड्रिसेप्स, हैमस्ट्रिंग और ग्लूट्स जैसी शरीर के बड़े मांसपेशियों के समूह हों या फिर ऊपरी शरीर में कंधे, पीठ और ट्राइसेप्स की मांसपेशियां, इस व्यायाम के जरिए सभी को लक्षित किया जा सकता है।
कार्डियोवैस्कुलर फिटनेस को बढ़ाता है : जब इस व्यायाम को हल्के वजन के साथ किया जाता है, तो यह कार्डियोवैस्कुलर के लिए एक बेहतरीन व्यायाम साबित हो सकता है।
मांसपेशियों के निर्माण में सहायक : इस व्यायाम को भारी वजन के साथ करने से मांसपेशियों का तेजी से विकास होता है।
समय की बचत : थ्रस्टर व्यायाम के जरिए जिन लोगों के पास कम समय है, वे अभी भी अच्छा व्यायाम कर सकते हैं। चूंकि, इस व्यायाम में अधिक से अधिक मांसपेशियों पर प्रभाव पड़ता है ऐसे में यह समय बचाने के साथ कई मायनों में बेहतर है।
कोर मांसपेशियों की शक्ति को बढ़ाता है : फ्रंट स्क्वाट से लेकर ओवरहेड प्रेस जैसे व्यायामों में कोर मांसपेशियों की सक्रियता की आवश्यकता होती है, ऐसे में यह इन मांसपेशियों के विकास में भी काफी सहायक होता है।
नियंत्रण बढ़ाता है : भारी वजन के साथ नीचे और ऊपर की दिशाओं में तेजी से व्यायाम करने से कुछ ही वक्त में शरीर नियंत्रित होना शुरू हो जाता है।