जानिए कैसे होता है बांझपन का इलाज

इनफर्टिलिटी ट्रीटमेंट में एजुकेशन शब्द आपको फिट न लगे लेकिन, इनफर्टिलिटी से जुड़ी सही जानकरी अवश्य लेनी चाहिए। हेल्थ एक्सपर्ट इससे जुड़ी जानकारी लोगों को देते हैं जिससे ये पता लग सके कि इसके क्या-क्या विकल्प हैं जिससे बेहतर तरीके से इलाज किया जा सके और उसका रिजल्ट भी सही आए। इसलिए इनफर्टिलिटी ट्रीटमेंट करवाने के लिए सबसे जरूरी बीमारी का सही ज्ञान होना जरूरी है।

इनसेमिनेशन जिसे इंट्रायूट्राइन इनसेमिनेशन (IUI) भी कहते हैं। यह गर्भधारण की एक कृत्रिम तकनीक है। इसे इनफर्टिलिटी ट्रीटमेंट के नाम से भी जाना जाता है। आईयूआई (IUI) में पुरुष के स्पर्म को महिला के यूट्रस में डाला जाता है, जिससे फर्टिलाइजेशन होता है। आईयूआई करने का उद्देश्य ज्यादा से ज्यादा संख्या में स्पर्म को फैलोपियन ट्यूब में पहुंचाना होता है, जिससे फर्टिलाइजेशन की संभावना बढ़ जाती है।

आईवीएफ (IVF) जिसे इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (IVF) कहते हैं ,ऐसी तकनीक है जिसकी मदद से वे महिलाएं प्रेग्नेंट हो सकती हैं, जिन्हें गर्भधारण में परेशानी आती है। दरअसल इस प्रॉसेस की मदद से महिला में दवाओं की मदद से फर्टिलिटी बढ़ाई जाती है जिसके बाद ओवम (अंडाणु/अंडों) को सर्जरी की मदद से निकाला जाता है और इसे लैब भेजा जाता है। लैब में पुरुष के स्पर्म (शुक्राणु) और महिला के ओवम को एक साथ मिलाकर फर्टिलाइज किया जाता है। 3-4 दिनों तक लैब में रखने के बाद फर्टिलाइज्ड भ्रूण को जांच के बाद महिला के गर्भ में फिर से इम्प्लांट किया जाता है।

यह एक सामान्य प्रक्रिया है जहां एक कपल शुक्राणु या अंडे या फिर दोनों देते हैं और एक अन्य महिला सरोगेट मां की रूप में कार्य करती है। इस प्रक्रिया में भी फर्टिलाइज भ्रूण को महिला के गर्भ में इम्प्लांट किया जाता है। महिला गर्भ में बच्चा पालती है और जन्म के बाद महिला उस बच्चे को कपल को सौंप देती है। इसे भी इनफर्टिलिटी ट्रीटमेंट में विशेष रूप से शामिल किया जाता है।

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