जानिए एक ऐसी नदी के बारे में जो हमेशा बहती है उल्टी
आपने अक्सर सुना होगा कि सभी नदियां व नहरें सभी पश्चिम दिशा से पूर्व दिशा की ओर बहतीं हैं। लेकिन आपने यह नहीं सुना होगा कि एक नदी ऐसी भी है जो हमेशा उल्टी बहती है उस नदी का नाम है नर्मदा नदी जो पश्चिम से पूर्व न बह कर पूर्व से पश्चिम दिशा की ओर बहती है।
विपरीत दिशा में बहने वाली है इस नदी का एक अन्य नाम रेवा भी है। यह मध्य भारत की नदी भारतीय उपमहाद्वीप की पांचवीं सबसे लंबी नदी है। गंगा सहित अन्य नदियां जहां पश्चिम से पूर्व की ओर बहते हुए बंगाल की खाड़ी में गिरतीं हैं वहीं नर्मदा नदी बंगाल की खाड़ी की बजाय अरब सागर में जाकर मिलती है।
नर्मदा नदी भारत के मध्य भाग में पूर्व से पश्चिम की ओर बहने वाली मध्य प्रदेश और गुजरात की एक मुख्य नदी है जो मैखल पर्वत के अमरकंटक शिखर से निकलती है। इस नदी के उल्टा बहने का भौगोलिक कारण इसका रिफ्ट वैली में होना है जिसकी ढाल विपरीत दिशा में होती है। इसलिए इस नदी का बहाव पूर्व से पश्चिम की ओर है।
मध्य प्रदेश राज्य में इसके विशाल योगदान के कारण इसे मध्य प्रदेश की जीवन रेख भी कहा जाता है। यह उत्तर और दक्षिण भारत के बीच एक पारंपरिक सीमा की तरह कार्य करती है। नर्मदा नदी से जुड़ी एक कहानी के मतानुसार नर्मदा नदी का विवाह सोनभद्र नद से तय हुआ था।
लेकिन नर्मदा की सहेली जोहिला के कारण दोनों के बीच दूरियां आ गईं। इससे क्रोधित होकर नर्मदा ने आजीवन कुंवारी रहने और विपरीत दिशा में बहने का निर्णय लिया था नर्मदा नदी का उद्गम मध्यप्रदेश के अनूपपुर जिले में विंध्याचल और सतपुड़ा पर्वत श्रेणियों के पूर्वी संधिस्थल पर स्थित अमरकंटक में नर्मदा कुंड से हुआ है।
नर्मदा समूचे विश्व में दिव्य व रहस्यमयी नदी है इसकी महिमा का वर्णन चारों वेदों की व्याख्या में श्री विष्णु के अवतार वेदव्यास जी ने स्कन्द पुराण के रेवाखंड़ में किया है। इस नदी का प्राकट्य ही विष्णु द्वारा अवतारों में किए राक्षस-वध के प्रायश्चित के लिए ही प्रभु शिव द्वारा अमरकण्टक के मैकल पर्वत पर कृपा सागर भगवान शंकर द्वारा १२ वर्ष की दिव्य कन्या के रूप में किया गया। महारूपवती होने के कारण विष्णु आदि देवताओं ने इस कन्या का नामकरण नर्मदा रख दिया था।