क्या भाई-भतीजावाद की उपज हैं अर्जुन तेंदुलकर? जानिए सच

मेरा भी यही मानना रहा था कि अर्जुन तेंदुलकर भाई-भतीजावाद की ही पैदाइश हैं, जब तक कि उन्होंने अपने रणजी ट्रॉफी डेब्यू पर शतक नहीं बनाया था।

तेंदुलकर के बेटे अर्जुन ने गोवा के लिए अपना पहला मैच खेलते हुए यादगार शतक जड़ा। वह हाल ही में गोवा चले गए और अब ताकतवर मुंबई सर्कल में इतने मौके नहीं मिलने के बाद प्रथम श्रेणी सर्किट में गोवा के लिए खेल रहे हैं। अर्जुन ने अपने प्रथम श्रेणी पदार्पण पर एक शानदार पारी बनाकर अपने पिता तेंदुलकर के करतब की बराबरी कर ली।

अर्जुन एक औसत क्रिकेटर थे लेकिन उनमें हमेशा खुद को बेहतर बनाने की भूख थी। 2021 की आईपीएल नीलामी में जब मुंबई इंडियंस ने उन्हें खरीदा तो उन्हें काफी ट्रोल किया गया। हालांकि उन्हें अपने फ्रैंचाइजी का आगवाई करने का कोई मौका नहीं मिला, लेकिन उन्हें खेल के सर्वश्रेष्ठ से सीखने का मौका मिल सकता है। लेकिन वह हाल ही में एक बेहतर खिलाड़ी की लग रहे हैं, क्योंकि उसने विजय हजारे ट्रॉफी के समापन में शालीनता से गेंदबाजी की और अपने रणजी ट्रॉफी डेब्यू में शतक भी लगाया।

अगर वह मुंबई रणजी टीम और भारत U19 टीम में केवल सचिन के असर के बदौलत ही खेलते,तब हम आसानी से उन्हें भाई-भतीजावाद के उत्पाद के रूप में टैग कर सकते हैं। लेकिन सचिन तेंदुलकर ऐसा कभी नहीं करते हैं, बल्कि उन्होंने अपने खेल को सुधारने के लिए सिर्फ एक मंच तैयार किया है और अर्जुन ऐसा कर रहे हैं।

इसके पीछे की वजह दिग्गज क्रिकेटर युवराज सिंह के पिता योगराज हैं। उन्होंने घरेलू क्षेत्र में अपनी शुरुआत से पहले तेंदुलकर के बेटे को ट्रेन किया था। योगराज सिंह ने सचिन तेंदुलकर के अनुरोध के बाद अर्जुन को सिर्फ 15 दिनों तक प्रशिक्षित किया।

योगराज ने अपने बेटे, युवी की सफलता में एक प्रमुख भूमिका निभाई और उन्हें खेल के सर्वश्रेष्ठ प्रशिक्षकों में से एक माना जाता था।

योगराज ने खुलासा किया कि पूर्व क्रिकेटर के साथ चंडीगढ़ में अर्जुन दो हफ्ते के लिए रहे, यह कुछ और नहीं बल्कि तेंदुलकर के बेटे के लिए बूट कैंप जैसा अनुभव था। सुबह 5 बजे उठने के बाद, अर्जुन दो घंटे की दौड़ में भाग लेते थे, जिसके बाद एक जिम सत्र होता था, जहाँ वे भारी वजन नहीं उठाते थे। योगराज ने अर्जुन को बॉडीवेट व्यायाम करने की सलाह दी जो चोट लगने के चांस को कम कर सकता है।

दिग्गज बल्लेबाज तेंदुलकर द्वारा अपना पहला शतक दर्ज करने के चौंतीस साल बाद, उनके बेटे अर्जुन ने बुधवार को रणजी ट्रॉफी में वही उपलब्धि हासिल की। गोवा के अर्जुन ने पोरवोरिम के गोवा क्रिकेट एसोसिएशन अकादमी ग्राउंड में 207 गेंदों में 120 रन बनाए।

उनकी बाएं हाथ की गेंदबाजी को देखते हुए, अगर वह अपनी बल्लेबाजी में सुधार करते हैं तो वह भविष्य में एक अच्छे ऑलराउंडर बनेंगे।

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