If no one has given the job, now the life of B.Tech will be spent as a eunuch, knowing the reason, he will press the finger under the teeth

किसी ने नहीं दी नौकरी तो अब किन्नर बनकर जिंदगी गुजरेगा B.Tech का ये छात्र,वजह जानकर दांतों तले दबा लेंगे उंगली

संविधान में किन्नरों के लिए नौकरी का कोई प्रावधान नहीं है। वह लोगों के घरों में जाकर बधाई मांगेगा और अपनी दो वक्त की रोटी जुटाएगा। भले ही वह कितना भी पढ़ा-लिखा और काबिल क्यों नहीं हो। कुछ ऐसा ही देखने को मिला है मनीमाजरा स्थित मंगलमुखी डेरे में।

मंगलमुखी डेरे में 26 जून को सिमरन को छात्रा के रूप में स्वीकार किया जाएगा। जिसके बाद वह बधाई मांगने वालों की टोली में शामिल हो घर-घर जाकर नाच गाकर बधाई मांगेगी और दो वक्त की रोटी जुटाएगी।

यह पहली बार नहीं है जब समाज में ऐसा हो रहा है। इससे पहले इसी डेरे द्वारा पढ़ाए गए कई ट्रांसजेंडर्स को शिष्य के रूप में स्वीकार किया गया है। बेटा पैदा होने पर मनाई गई थी खुशी सिमरन ने कहा कि जब कोख से बाहर आकर आंखें खोली तो मैं एक लड़का था। घर में तीसरा लड़का होने पर खुशी का माहौल था। प्रत्येक कोई घर में शुभकामनाएं देने आ रहा था और बच्चे की खूबसूरती और मासूमियत को देखकर दुआएं दे रहा था।

शक्ल-सूरत से सुन्दर दिखने वाले सिमरन ने पढ़ाई में भी बेहतर करके मां-बाप का नाम रोशन किया। मेकेनिकल इंजीनियर बनने का सपना था.

जिसके लिए कड़ी मेहनत की और 67 फीसदी अंकों के साथ बीटेक की डिग्री भी हासिल कर ली किन्तु एक ट्रांसजेंडर होने के वजह से उसका नौकरी करने का सपना टूट गया। फ‌र्स्ट क्लास इंजीनियर होने के बाद भी उसे कोई नौकरी देने के लिए तैयार नहीं है।

सिमरन बीते छह सालों से मनीमाजरा के किन्नर डेरे में रह रहा है। 12 वर्ष की उम्र में उसे समझ आ गया था कि वह एक लड़का नहीं है। उसके शरीर की बनावट लड़कियों जैसी होने लगी थी। आदतें भी लड़कियों जैसी थी किन्तु जब मैं उन्हें करता तो मां-बाप और दो बड़े भाई मारना-पीटना शुरू कर देते। 16 वर्ष की उम्र में घर से भी निकाल दिया। सोसायटी ने अपनाने से मना कर दिया। मजबूरी में शादियों में जाकर डांस करके अपना गुजारा करना शुरू किया।

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