राजा और भिखारी का कहानी मजेदार कहानी
बिहार के एक छोटे गाँव में एक राजा रहता था उनके एक बेटा भी था राजा अपने प्रजा से बहुत प्यार करते थे एक दिन की बात है राजा और उनके बेटा दोनो अपने प्रजा के हाल चाल लेने के लिऐ वह हरदम गाँँव मेें घुमते रहते है वह घुमने कि सुुुरवात एक मंदिर से करते हैं जब राजा और उनके बेटा मंंदिर के पास पहुंचे तो देखे कि मंंदिर के निचेे कोई भिखारी बैठा है राजा केे बेेटा बोला कि आप यहा क्यो बैठे हैं तब भिखारी बोला कि मंदिर से जो व्यक्ती निकलते है वह हमेे एक रुपया देते हैै और हम अपना पालन पोषण करला हुँँ। इतना सुनते हि राजा के बेटा एक थैली निकाल कर देता हैं और बोलता है कि आजसे यह आने कि कोई जरुरत नहीं पडेगा ।भिखारी बहुत खुुुश खुशी अपने घर जा रहा था तभी चोर भिखारी के हाथ से थैला छिन कर लेकर भागने लगा चोर भाग निकला भिखारी का मन सफा दुखः था
वह घर जाकर वह अपनेे पत्नी से सभी बात बताई उनकि पत्नी बोली कि यह हम लोगों के भाग में नहीं था फिर दुसरा दिन वह मंदिर के पास जाकर बैठ गया घुमते- घुमते राजा और उनके बेटा फिर से मंदिर के पास पहुचे तो देेेखे कि वह साधु वही पर बैठा है राजा के बेेटा जाकर पुुछा भिखारी पुरा बात बोला तो राजा साहेेेब उसे मणि दिये भिखारी बहुत खुश हुुुआ भिखारी लेेेजाकर मटका में रख दिया पानी के साथ भिखारी कि पत्नी पानी लाने केे लिऐ नदी के किनारे गई थी तब तक मटका फुट गया और घर से जाकर जीसमें मणि रखा था वही लेकर चल दिया नदी के किनारे मणि पानी मेंं गिर गया भिखारी कि पत्नी को आते ही भिखारी पुरा बात बताया तब उनकी पत्नी पुरा बात बोली दोनोंं का मन दुखः हो गया फिर से बह मंंदिर के पास ज बैैठा फिर से राजा साहेब से पुरा बात बोला राजा सहेब एक रुपया निकाल के भिखारी केे दिये भिखारी के रास्ते में एक मछुुुआरों सेे मुलकात हुआ जिसके पास एक मछली थी भिखारी के मन में एक बात आया और मछली को किन कर वह अपने घर लेकर गया वह मछली मणि को खाई थी मणि भी मिल गया और भिखारी भी लाकर दे दिया भिखारीऔर उनकी पत्नी खुशी- खुशी रहने लगे।