Do you know that Lord Ram had agreed to a dog, such a big decision

क्या आप जानते हैं कि भगवान् राम ने एक कुत्ते की बात मान कर लिया था इतना बड़ा फैसला

हम सभी लोगों ने राम राज्य के बारे में सुना है जैसे कि सभी जानते हैं जब श्रीराम ने रावण का वध किया उसके पश्चात अयोध्या पहुंचकर लगभग 11 सौ सालों तक अयोध्या पर राज कीया और इस समय को राम राज्य कहा जाता है आपको शायद यह पता ना हो की राम राज्य में इंसानों के साथ साथ जानवरों को भी पूरा न्याय मिलता था.

जब भगवान राम अपने राज्य में शासन कर रहे थे उस समय एक कुत्ते ने आकर भगवान राम के सामने अपना दुख सुनाया था और उस कुत्ते को वैसा ही न्याय मिला जैसा वह चाहता था. मैं आपको बताता हूं कि राम राज्य में उस कुत्ते को आखिर क्या दुख हुआ था और श्रीराम ने उसके दुख को कैसे दूर किया था.

एक बार एक घायल कुत्ता राजमहल के दरबार पर आकर जोर-जोर से भौंक रहा था यह देख कर लक्ष्मण जी वहां पहुंचे और उस कुत्ते से उसका दुख पूछा तब उस कुत्ते ने कहा कि मैं अपना दुख केवल श्रीराम को ही बताऊंगा तब लक्ष्मण जी ने कहा कि ठीक है.

लक्ष्मण जी ने कहा की तुम राज दरबार में आकर अपनी परेशानी महाराज राम के सामने सुना देना, तब उस कुत्ते ने कहा के राजभवन में हम जैसे प्राणियों का आना उचित नहीं होता ऐसी जगह पर हम राजा की आज्ञा के बिना नहीं जा सकते इसलिए आप पहले राजा से आज्ञा लीजिए तब में राजदरबार आ सकूंगा.

कुत्ते की बात सुनकर श्री लक्ष्मण जी दरबार में आए और राम को सारी बातें बता दी तब राम ने उस कुत्ते को राज दरबार में आने की आज्ञा दे दी उस कुत्ते ने राज दरबार में आकर कहा की सर्वार्थ सिद्धि नामक एक ब्राम्हण ने मुझे घायल कर दिया है जबकि मैंने ऐसा कोई अपराध नहीं किया था.

कुत्ते की यह बात सुनकर राजा राम ने उस ब्राह्मण को राजदरबार में बुलवाया और उससे पूछा कि तुमने इस निरपराध कुत्ते को क्यों घायल किया है तब उस भिक्षु ने कहा कि हे भगवान मैं कल भिक्षा मांगने में समय से चूक गया था इस कारण मैं जिसके भी घर जा रहा था कोई भी मुझे भिक्षा नहीं दे रहा था और यह कुत्ता आगे पीछे घूम घूम कर मुझ पर भोक रहा था.

इसलिए मुझे क्रोध आ गया और मैंने इस कुत्ते को लकड़ी से मार दिया हां मैं यह मानता हूं कि मुझसे यह गलती हुई है. और मुझे इस गलती की आप जो सजा दे वह मुझे मंजूर होगी तब राम सोच में पड़ गए कि एक ब्राह्मण को क्या सजा दी जाए क्योंकि एक ब्राह्मण भिक्षु को शारीरिक दंड नहीं दिया जा सकता है.

ऐसा क्या दंड दिया जाए तब उस कुत्ते ने कहा कि महाराज आप इस ब्राह्मण को मेरे कहे अनुसार दंड दीजिए तब राजा राम ने कहा ठीक है कुत्तों ने कहा कि महाराज इस ब्राह्मण को एक मठ का महंत बना दीजिए राजाराम ने उस ब्राह्मण को मठ का महंत बना दिया.

यह देखकर दरबार में बैठे सारे लोग आश्चर्यचकित हो गए कि भगवान राम ने ब्राह्मण को सजा दी है या फिर उसका सत्कार किया है और जिज्ञासावश सभी ने पूछा कि महाराज आपने ब्राह्मण को मठ का महंत क्यों बना दिया.

राजाराम ने कहा इसका जवाब आपको यह कुत्ता ही देगा तो कुत्ते ने कहा कि महाराज मैं पिछले जन्म में एक मठ का महंत था और लोगों की सेवा करता था और मठ की संपत्ति का ध्यान रखता था सारा जीवन मेरा सिर्फ लोगों की सेवा में गुजरा लेकिन फिर भी दूसरे जन्म में मुझे कुत्ते का जन्म मिला.

इसलिए मैंने इस ब्राह्मण को मठ का महंत बना दिया यह तो और भी ज्यादा क्रोधी है तो सोचिए इसका अगला जन्म कितना खराब होगा और इसकी तो सात पुश्तों तक यह उसको समझ नहीं पाएगा.

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