Christmas Day: आइये जानते है क्यों मनाते है हम यह त्यौहार और कैसे फैला यह पुरे विश्व में जानिए

क्रिसमस, ईसाई धर्म का महत्वपूर्ण पर्व है। इसे हर वर्ष 25 दिसंबर को मनाया जाता है। अपने आप में यह त्यौहार इतना व्यापक है कि दुनियाभर में इसे अन्य धर्म के लोग भी बड़ी धूमधाम के साथ मनाते हैं। इसलिए इस पर्व को धार्मिक कहने की बजाय सामाजिक कहना ज्यादा बेहतर होगा। संयुक्त राष्ट्र संघ के आंकड़ों के अनुसार, विश्व के करीब डेढ़ सौ करोड़ लोग ईसाई धर्म के अनुयायी हैं। क्रिसमस को बड़ा दिन भी कहते हैं। इस त्यौहार की तैयारियाँ भी बड़ी धूमधाम के साथ होती हैं। यह दुनिया का सबसे बड़ा धर्म है जिसके कारण पूरे विश्व में इसे मनाया जाता है।

क्रिश्चियन यानी ईसाई धर्म की मान्यताओं के अनुसार, ऐसा कहा जाता है कि इस दिन यीशु (ईसा मसीह) का जन्म हुआ था। ईसा मसीह ईसाईयों के ईश्वर हैं। इसलिए क्रिसमस डे पर गिरजाघरों यानी चर्च में प्रभु यीशु की जन्म गाथा की झांकियाँ प्रस्तुत की जाती हैं और गिरजाघरों में प्रार्थना की जाती है। इस दिन ईसाई धर्म के लोग चर्च में एकत्रित होकर प्रभु यीशु की आराधना करते हैं। लोग एक दूसरे को हैप्पी क्रिसमस और मेरी क्रिसमस की बधाईयाँ देते हैं।

सन 1998 से लोग इस पर्व को निरंतर मना रहे हैं। बल्कि सन 137 में रोमन बिशप ने इस पर्व को मनाने की आधिकारिक रूप से घोषणा की थी। हालाँकि तब इसे मनाने का कोई निश्चित दिन नहीं था। इसलिए सन 350 में रोमन पादरी यूलियस ने 25 दिसंबर को क्रिसमस डे के रूप में घोषित कर दिया गया।

एक अन्य मान्यता के अनुसार, प्रारंभ में स्वयं धर्माधिकारी 25 दिसंबर को क्रिसमस को इस रूप में मनाने की मान्यता देने के लिए तैयार नहीं थे। यह वास्तव में रोमन जाति के एक त्योहार का दिन था, जिसमें सूर्य देवता की आराधना की जाती थी। यह माना जाता था कि इसी दिन सूर्य का जन्म हुआ। लेकिन जब ईसाई धर्म का प्रचार-प्रसार हुआ तो ऐसा कहा गया कि यीशु ही सूर्य देवता के अवतार हैं और फिर उनकी पूजा होने लगी। हालाँकि इसे मान्यता नहीं मिल पाई थी।

क्रिसमस का त्यौहार शांति और सदभावना का प्रतीक है। क्रिसमस शांति का भी संदेश देता है। चूँकि बाइबल में यीशु को शांति का दूत बताया गया है। वे हमेशा वक्तव्यों में कहते थे- शांति तुम्हारे साथ हो. शांति के बिना किसी भी धर्म का अस्तित्व संभव नहीं है। घृणा, संघर्ष, हिंसा एवं युद्ध आदि का धर्म के अंतर्गत कोई स्थान नहीं है। यद्यपि भारत में ढाई फीसदी ईसाई लोग रहते हैं, लेकिन यहाँ इस पर्व को बड़ी धूम-धाम के साथ मनाया जाता है। खासकर गोवा में कुछ लोकप्रिय चर्च हैं, जहां क्रिसमस बहुत जोश और उत्‍साह के साथ मनाया जाता है। इनमें से अधिकांश चर्च भारत में ब्रि‍टिश और पुर्तगाली शासन के दौरान स्थापित किए गए थे। भारत के कुछ बड़े चर्चों मे सेंट जोसफ कैथेड्रिल, और आंध्र प्रदेश का मेढक चर्च, सेंट कै‍थेड्रल, चर्च आफ सेंट फ्रांसिस आफ आसीसि और गोवा का बैसिलिका व बोर्न जीसस, सेंट जांस चर्च इन विल्‍डरनेस आदि शामिल हैं।

देवदूत बनके कोई आएगा,

सारी आशाएं तुम्हारी, पूरी करके जायेगे,

क्रिसमस के इस शुभ दिन पर,

तौफे खुशियों के दे जायेगा!

Merry Christmas to All 2021

सबके दिलो में हो सबके लिए प्यार

आने वाला हर दिन लाए खुशियों का

त्योहारइस उम्मीद के साथ आओ भुलाकर

सारे ग़मक्रिसमस का हम सब करे वेलकम’

Happy Christmas 

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