BS-6 बाइक के क्या फायदे हैं, ये इतने महंगे क्यों हैं?
बीएस (BS) का मतलब होता है भारत स्टेज। इसका सीधा संबंध उत्सर्जन मानकों से होता है। दरअसल बीएस-6 इंजन से लैस वाहनों में खास फिल्टर लगेंगे, जिससे 80-90 फीसदी पीएम 2.5 जैसे कण रोके जा सकेंगे इससे नाइट्रोजन ऑक्साइड पर नियंत्रण लग सकेगा। जिसकी वजह से प्रदूषण पर काफी रोक लगेगी।
परिवहन विशेषज्ञों और ऑटो एक्सपर्ट के मुताबिक बीएस-6 गाड़ियों में हवा में प्रदूषण के कण 0.05 से घटकर 0.01 रह जाएंगे। जिससे वातावरण साफ़ रहेगा। बीएस-6 इंजन से लैस गाड़ियों से (पेट्रोल और डीजल) होने पर प्रदूषण 75 फीसदी तक कम होगा।
बीएस 4 और बीएस-3 फ्यूल में सल्फर की मात्रा 50 पीपीएम तक होती है जोकि हमारे लिए काफी खतरनाक है जबकि बीएस-6 में यह सिर्फ 10 पीपीएम तक रह जाती है, यानी प्रदूषण काफी कम होगा।
बीएस-6 के लिए नया इंजन और इसमें इलेक्ट्रिकल वायरिंग बदलने कॉस्ट बढ़ जायेगी। इतना ही नहीं बीएस-6 से गाड़ियों की इंजन की क्षमता बढ़ेगी जिससे उत्सर्जन कम होगा। जिसकी वजह से कंपनी को गाड़ियों के दाम बढ़ाने पर मजबूर होना पड़ेगा।
माइलेज पर पड़ेगा असर
बीएस-6 इंजन से लैस नई गाड़ियों की माइलेज पर भी असर पड़ेगा। जी हां नई गाड़ियां ज्यादा माइलेज देंगी। वही माइलेज को लेकर कोई भी वाहन कंपनी माइलेज का झूठा दावा भी नहीं कर सकेगी क्योकिं नियम लागू होने पर कंपनियों को इसका पालन करना होगा। बीएस-6 गाड़ियों के आने से न केवल गाड़ियां बेहतर होंगी वही प्रदूषण पर भी काफी हद तक रोक लग सकेगी। जिस तरह देश में सड़कों पर लगातार गाड़ियां बढ़ रही हैं उसे देखते हुए बीएस-6 इंजन वाले वाहन काफी उपयोगी साबित होंगे। प्रदूषण कम होगा तो लाइफ कुछ और बेहतर होगी। कुछ और नहीं तो कम से कम खुलकर सांस ही ले सकेंगे।