प्रेग्नेंसी के दौरान हर 5 मिनट पर मर जाती है एक भारतीय मां, जानिए क्यों
आपको बतादें की डब्ल्यूएचओ ने एक बयान में कहा, “वास्तव में दो तिहाई मौतें बच्चा पैदा होने के बाद होती हैं, इस बारे में सबसे बड़ी समस्या प्रसव के बाद ब्लीडिंग की है।
बतादें की आपातकालीन प्रसव के बाद गर्भाशय के फट जाने से प्रति एक लाख में 83 माताएं मौत की शिकार हो जाती हैं मातृत्व मृत्यु दर 17.7 प्रतिशत है जबकि नवजात मृत्यु दर 37.5 प्रतिशत है।
आपको बतादें की बच्चे के जन्म के 24 घंटे के अंदर यदि महिला का 500 मिली लीटर या 1000 मिली लीटर रक्त निकले तो वह ब्लीडिंग (पीपीएच) की परिभाषा के तहत आएगा.
ऐसी हमारे भारत में ब्लीडिंग की घटनाएं बहुत अधिक होती हैं, इसलिए ऐसा नहीं लगता कि देश सहस्राब्दी विकास लक्ष्य (एमडीजी) 5 हासिल कर पाएगा।
बतादें की एमडीजी के तहत मातृत्व मृत्यु कम करने और सबको प्रजनन संबंधी स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है.
इस बारे में आपको बतादें की एम बयान में ऐसा कहा गया है कि भारत में मातृत्व मृत्यु दर के वर्ष 2011-13 के ताजा आकलन के अनुसार हर एक लाख बच्चा पैदा होने के दौरान 167 माताओं की मौत हो जाती है।
बतादें की यह आकलन यह भी दिखाता है कि भौगोलिक रूप से कितना अंतर है। बतादें की सबसे अधिक 300 मौतें असम में और सबसे कम 61 मौतें केरल में हुई है।