आखिर हिंदू मंदिरों में क्यों बजाई जाती है घंटी
मंदिरों में घण्टी व घड़ियाल संध्यावंदन के समय बजाए जाते हैं। संध्यावंदन 8 प्रहर की होती है जिसमें प्रातः और संध्याकाल दो प्रमुख हैं। चलिये दोस्तों आज हम आपको बताएंगे की मंदिरों में घंटी बजाने कर पीछे का क्या रहस्य है।
- पहला कारण घंटी बजाने से देवी-देवताओं के समक्ष आपकी हाजरी लग जाती है।मान्यता के अनुसार घंटी की आवाज से मंदिर में स्थित देवी-देवताओं की मूर्तियों में चेतना जागृत होती है जिससे उनकी पूजा-अर्चना अधिक प्रभावशाली और लाभकारी हो जाती है।
- स्कंद पुराण के अनुसार मंदिर में घंटी बजाने से पिछले 100 जन्मों का पाप नष्ट हो जाता है। जब सृष्टि का प्रारंभ हुआ तब यही ध्वनि थी जो घंटी बजाने पर निकलती है। घंटे को काल का प्रतीक भी माना गया है। धर्म शास्त्रियों के अनुसार पृथ्वी पर जब प्रलय काल आएगा तब भी इसी प्रकार का नाद उत्पन्न होगा।
- मंदिरों घंटी बजाने के पीछे वैज्ञानिक कारण भी है। वैज्ञानिकों के अनुसार जब घंटी बजाई जाती है तो वातावरण में कंपन्न उत्पन्न होता है जो वायुमंडल में बहुत दूर तक जाता है, जिससे आस-पास के वातावरण में मौजूद जीवाणु और विषाणु नष्ट हो जाते हैं और वातावरण शुद्ध हो जाता है।
- जिन स्थानों पर घंटी बजाने की आवाज नियमित रूप से आती है, वंहा वातावरण हमेशा शुद्ध और पवित्र बना रहता है। इससे नकारात्मक शक्तियां हटती और सम्रद्धि के द्वार खुलते हैं।
- घंटी की मनमोहक और कर्णप्रिय ध्वनि मन-मस्तिष्क को आध्यात्म की ओर ले जाने की शक्ति रखती है। हमारा मन घण्टों की लय सुनकर शान्ति का अनुभव करता है। मंदिर में घंटी बजाने से मानव के कई जन्मों का पाप नष्ट हो जाता है। सुबह-शाम जब भी मंदिरों में पूजा-आरती की जाती है तो एक विशेष धुन व लय के साथ घण्टियाँ बजायी जाती है जिससे वंहा मौजूद लोगों को शान्ति और दैवीय उपस्थिति का आभास होता है।