एक ऐसा मंदिर जहाँ माताजी करती है मदिरापान और दिन में बदलती है तीन रूप
यह तो सब ने सुना है कि उज्जैन में काल भैरव मदिरापान करते हैं। किंतु एक ऐसे माताजी भी यह जो मदिरापान करते हैं।इन माताजी का मंदिर रतलाम से 35 किलोमीटर दूर एक ऊंची पहाड़ी पर स्थित है।इस मंदिर का नाम कवलका माता मंदिर है।यहां माता जी को भोग में मदिरापान कराया जाता है जो एक चमत्कार से कम नहीं है।
यह मंदिर एक प्राचीन मंदिर है ऐसा कहा जाता है कि जब पांडवों को अज्ञातवास के लिए भेजा गया था। तब उनकी गाय गुम हो जाने पर वे इस स्थान पर गाय को ढूंढने आए थे।तब भीम ने ऊपर पहाड़ी पर दिखने वाली गायों के झुंड को फिर से फैलने के लिए एक डंडा फेंका था। जो आज भी धार के किले में एक शीला पर विराजमान है।
यहांं के चमत्कारो की चर्चा दूर-दूर तक होने लगी है।और यहां बहुत लोग दर्शन के लिए आते हैं। यहां मुरादें लेकर आते हैं और उल्टा स्वस्तिक बनाते हैं। जब मुरादें पूरी हो जाती है।तो सीधा स्वस्तिक बना देते हैं।ऐसा माना जाता है कि यहां माता रानी दिन में तीन बार अपना रूप बदलती है। सुबह के समय में बालक रूप में रहती है।
दिन के समय युवावस्था में और शाम के समय में वृद्धावस्था में दिखाई देती है।यहां पत्थरों को जोड़कर घर बनाने की भी परंपरा है। ऐसा कहा जाता है कि जैसे हम पत्थरों को जोड़कर जितना बड़ा घर बनाएंगे वैसा हमें भविष्य में मकान प्राप्त होगा। यहां नवरात्रि के समय मेला भी लगता है ।इस समय यहां पर लोगों की बहुत अधिक भीड़ दिखाई देती है।