74 साल बाद एमपी में फिर सुनाई देगी चीते की दहाड़

धरती पर सबसे तेज दौड़ने वाले स्तनधारी चीतों को दक्षिण अफ्रीका से लाकर इस साल नवंबर में मध्य प्रदेश के श्योपुर जिले स्थित कूनो राष्ट्रीय उद्यान में बसाया जाएगा। इससे करीब 74 साल बाद देश में विलुप्त हुए चीते की दहाड़ फिर से सुनाई देगी। इन चीतों को दक्षिण अफ्रीका से भारत में लाने के लिए करीब 10 साल से चर्चा चल रही थी। यह जानकारी रविवार को वन मंत्री विजय शाह ने दी है।

देश में अंतिम धब्बेदार चीता वर्ष 1947 में अविभाजित मध्य प्रदेश के कोरिया इलाके में देखा गया था, जो अब छत्तीसगढ़ में आता है। बाद में वर्ष 1952 में इस जानवर को देश में विलुप्त घोषित कर दिया गया था। शाह ने बताया कि दक्षिण अफ्रीका से 10 चीतों को मध्य प्रदेश के कूनो राष्ट्रीय उद्यान में लाया जाएगा। इनमें पांच नर एवं पांच मादा होंगी। हमने इनके लिए कूनो राष्ट्रीय उद्यान में बाड़ा बनाने का काम इस महीने से शुरू कर दिया है और अगस्त में बाड़ा बनाने का काम पूरा कर लिया जाएगा।

750 वर्ग किलोमीटर में फैला है कूनो राष्ट्रीय उद्यान
चंबल संभाग में आने वाला कूनो राष्ट्रीय उद्यान करीब 750 वर्ग किलोमीटर के दायरे में फैला हुआ है और चीते को फिर से बसाने के लिए देश के सबसे बेहतर पर्यावास में से यह एक है। इसमें चीतों के लिए अच्छा शिकार भी मौजूद है, क्योंकि यहां पर चौसिंगा हिरण, चिंकारा, नीलगाय, सांभर एवं चीतल बड़ी तादाद में पाए जाते हैं।

शाह ने बताया कि केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने हमें चीतों को फिर से बसाने के लिए इस सप्ताह एक संभावित कार्यक्रम भेजा है। इसके अनुसार इस साल मई से अगस्त के बीच मध्य प्रदेश वन विभाग को कूनो राष्ट्रीय उद्यान में इनके लिए बाड़ा तैयार करना है और इनको बसाने के लिए इस वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए 14 करोड़ रुपये का अनुमानित बजट मिलेगा। उन्होंने कहा कि 14 करोड़ रुपये के इस अनुमानित बजट को भारतीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण की तरफ से मध्य प्रदेश एवं भारतीय वन्यजीव संस्थान को जून में दिया जाएगा।

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