43 लाख छात्रों हो जाएंगे शिक्षा से वंचित, ऑनलाइन शिक्षा नही है बेतहर

पिछले 4 महीनों से पूरे भारत सरकार द्वारा पूरे भारत में शिक्षा से संबंधित सभी संस्थानों चाहे वह आईआईटी, एनआईटी या कोई भी स्टेट इंस्टिट्यूट हो, सभी को ऑनलाइन शिक्षा ऑनलाइन क्लासेज चलाने के आदेश दिए गए थे। कुछ यूनिवर्सिटी और इंस्टिट्यूट तो सरकार के आदेश आने से पहले ही अपनी क्लासेस ऑनलाइन कर चुकी थी। भारत में बेसिक शिक्षा परिषद की भी ऑनलाइन क्लासेस का प्रावधान किया गया था परंतु यह उतना कारगर सिद्ध नहीं हो पाया कितना अनुमानित किया गया था। कुछ शिक्षक जो स्मार्टफोन की प्रणाली से परिचित हैं। वह भी शिक्षा को सुचारू रूप से नहीं चला पा रहे हैं क्योंकि छात्रों के परिवार जन के पास स्मार्टफोन खरीदने के पैसे ही नहीं है पूरे भारत के सर्वे के आधार पर 43 लाख बच्चे केवल भुनेश्वर में हैं जो शारीरिक रूप से अक्षम है और उन्हें ऑनलाइन के जरिए पढ़ाई करने का कोई भी संसाधन नहीं है।

गरीब परिवार के होने की वजह से लॉकडाउन के दिनों में उन्हें अपनी दो वक्त की रोटी का जुगाड़ करना मुश्किल हो जाता है। इस दशा में ऑनलाइन शिक्षा तो बहुत दूर की बात हुई स्मार्टफोन पहले की दशा में सस्ते हुए हैं पर इतने भी सस्ते नहीं हुए कि भारत का हर एक गरीब परिवार ऑनलाइन शिक्षा के लिए स्मार्टफोन खरीद कर अपने बच्चे को दे सके।

सर्वे के अनुसार यह पाया गया कि दिव्यांग बच्चे जो पहले स्कूल जाकर शिक्षकों के संरक्षण में ज्ञान को प्राप्त कर के उज्जवल भविष्य की कामना करते थे। वह इन दिनों दो वक्त की रोटी के लिए दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं। दिव्यांग बच्चों को शिक्षण प्रदान करने वाली संस्थाओं ने भी बताया कि केंद्र सरकार द्वारा दिए गए निर्देशों का पालन करवा पाना बहुत ही कठिन है क्योंकि भारत में केवल दिखावे की ही विकास हुआ है परंतु आज भी प्रति व्यक्ति आय पहले के मुकाबले बहुत नीचे गिर गई है।

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