200 साल पुराने इस मंदिर में होती है मेंढक की पूजा
दोस्तो भारत एक ऐसा देश है जहाँ बहुत से धर्म के लोग रहते है और सब अलग भगवान को मानते हुए रोज अंदर जाते है। इसलिए यहां बहुत से मंदिर भी आपको देखने को मिलेंगे। लेकिन क्या कभी अपने एक मेंढक का मंदिर देखा है जहां के लोग मेंढक को ओजते है।
दोस्तो भारत में ऐसे कई मंदिर हैं, जो अपने आप में अजूबा हैं। जहां अलग-अलग देवताओं की पूजा होती है। आइए दोस्तो आज हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बताते है जहाँ लोग मेंढक को पूजते है।
दरसअल, यह अनोखा मंदिर उत्तरप्रदेश के लखीमपुर-खीरी जिले के ओयल कस्बे में स्थित है। यह भारत का एकमात्र ऐसा मंदिर है, जहां मेंढक की पूजा होती है।
बताया जाता है कि यह जगह ओयल शैव संप्रदाय का प्रमुख केंद्र था और यहां के शासक भगवान शिव के उपासक थे। इस कस्बे के बीच मंडूक यंत्र पर आधारित प्राचीन शिव मंदिर भी है।
यह क्षेत्र 11वीं सदी से 19वीं सदी तक चाहमान शासकों के आधीन रहा था।और चाहमान वंश के राजा बख्श सिंह ने ही इस अनोखे मंदिर का निर्माण कराया था।
ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर की वास्तु परिकल्पना कपिला के एक महान तांत्रिक ने की थी। तंत्रवाद पर आधारित इस मंदिर की वास्तु संरचना अपनी विशेष शैली के कारण लोगों का मनमोह लेती है।