होटल या ढाबों के बाहर कई प्रकार के रंगों के झंडे क्यों लगाए जाते हैं? जानिए आप भी

काला झंडा : झंडे में काला रंग या काले रंग का झंडा दृढ़ संकल्प या फैसले, शत्रु की पराजय या किसी खास सांस्कृतिक धरोहर का भी प्रतीक होता है. मृत्यु या शोक के समय भी काले झंडे को कई जगह प्रतीक के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है.

सफेद झंडा : ये झंडा शांति, पवित्रता और सौहार्द्र का प्रतीक रहा है. रणभूमि में एक पक्ष के समर्पण के लिए भी सफेद झंडे का इस्तेमाल होने का इतिहास है.

लाल झंडा : लाल रंग को शक्ति, क्रांति और युद्ध या भीषण रक्तपात का प्रतीक माना जाता है. इसी के साथ इस रंग के झंडे से साहस और वर्चस्व का प्रतीक भी जुड़ा है. दुनिया में लाल झंडे को कम्युनिस्ट विचार का प्रतीक समझा जाता है. वहीं, कुछ पारंपरिक या व्यवस्थागत संदर्भों में लाल झंडा खतरे का संकेत भी है.

नीला झंडा : नीले झंडे के प्रतीक मज़बूत इरादे, आज़ादी, सजगता और सौभाग्य से जुड़े रहे हैं. भारत में काफी समय से राजनीतिक संदर्भों में गहरे नीले रंग का झंडा एक विशिष्ट जाति के आंदोलनों का प्रतीक बना हुआ है.

हरा झंडा : ज़्यादातर हरे झंडे को कृषि संबंधी संपन्नता का प्रतीक माना जाता है. इसे उत्साह, उमंग और आशावादिता के प्रतीक के तौर पर भी समझा जाता है.

पीला झंडा : सूरज की रोशनी से मेल खाते पीले रंग के झंडे को संपत्ति और ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है. खुशी और उत्साह ज़ाहिर करने के लिए भी इस झंडे का इस्तेमाल हो सकता है.

केसरिया झंडा : नारंगी या केसरिया झंडे के पीछे साहस, शौर्य और बलिदान को प्रतीक माना गया है, लेकिन भारत में काफी समय से यह हिंदुत्व से जुड़ी विचारधाराओं के प्रतीक के तौर पर देखा जा रहा है.

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