हम टायर के लिए ठोस रबर का उपयोग क्यों नहीं करते हैं

आपका कहना सही है लेकिन ठोस रबर के टायर के फायदे है तो नुकसान भी है। नुकसान कुछ यह है

1 रबर का ठोस टायर का पूरा हिस्सा जमीन की सतह को छुता है लेकिन हवा के टायर का आधा हिस्सा ही जमीन को छुता है

2 रबर के ठोस टायर में गाडी़ का पूरा वजन होता है जिससे गाडी के इन्जन में अधिक बल लगता है और फ्यूल की खपत अधिक होती है

3 गड्डडे वाली सड़को पर तो इस टायर से झटके उत्पन्न होंगे जिससे आपके शरीर पर हानिकारक प्रभाव हो सकता है।

5 ठोस रबर के टायर में सीमा से अधिक दबाव देने पर ठोस टायर के आकार में परिवर्तन होता है। जिससे बाद में वो पहले जैसा नहीं होता है।

6 ठोस टायर का एक कारण यह भी हो सकता है कि यह टायर अधिक महंगे होते हैं।

टायर के इतिहास की बात करें —

पहियों का इस्तेमाल हज़ारों सालों से होता आया है, मगर पहिए के बाहरी घेरे पर रबर लगाना हाल ही में शुरू हुआ। सन्‌ 1800 के दशक की शुरूआत में, पहली बार लकड़ी या स्टील के पहियों पर कुदरती रबर लगाया जाने लगा। लेकिन यह बहुत जल्दी घिस जाता था, इसलिए रबरवाले टायरों का भविष्य बिलकुल धुँधला नज़र आ रहा था। मगर फिर अमरीका के कनेटीकट राज्य का चार्ल्स गुडयर इस समस्या को सुलझाने के लिए सामने आया, जो इरादे का बड़ा पक्का था। सन्‌ 1839 में, गुडयर ने वल्कनीकरण (vulcanization) नाम की एक प्रक्रिया की खोज की, जिसमें ऊँचे ताप और दबाव का इस्तेमाल करके रबर के साथ गंधक मिलायी जाती है। इस प्रक्रिया से रबर को ढालना आसान हो गया, साथ ही यह इतना सख्त हो गया कि इस्तेमाल करने पर यह जल्दी नहीं घिसता था। अब तो सख्त रबर के टायर मशहूर हो गए।

मगर इनमें एक खामी थी। गाड़ी चलाते वक्‍त इनकी वजह से काफी झटके लगते थे। सन्‌ 1845 में, स्कॉटलैंड के एक इंजीनियर, रॉबर्ट डब्ल्यू. थॉमसन को पहला न्यूमैटिक टायर यानी हवा से भरा टायर बनाने का पेटेंट मिला। लेकिन बाज़ार में ये टायर तब जाकर मशहूर हुए जब स्कॉटलैंड के एक और आदमी, जॉन बोइड डनलप ने अपने बेटे की साइकिल के टायर को और भी बेहतर बनाया। सन्‌ 1888 में, डनलप ने अपना नया टायर बनाने के लिए पेटेंट

हासिल किया और अपनी एक कंपनी खोली। फिर भी, न्यूमैटिक टायर बनाने के लिए बड़ी-बड़ी रुकावटें पार करनी थीं।

सन्‌ 1891 में एक दिन, एक फ्राँसीसी आदमी की साइकिल के टायर की हवा निकल गयी। उसने उसे ठीक करने की कोशिश की, मगर नाकाम रहा क्योंकि टायर, पहिए से पूरी तरह चिपक गया था। उसने एक और फ्राँसीसी आदमी, ऐडवॉर्ड मीशलेन की मदद ली जो वल्कनित रबर तैयार करने में मशहूर था। मीशलेन ने उस आदमी के टायर कीथ मरम्मत करने में नौ घंटे बिताए। इस वाकए से उसमें ऐसा न्यूमैटिक टायर बनाने की प्रेरणा जागी जिसे मरम्मत करने के लिए पहिए से आसानी से अलग किया जा सके।

मीशलेन के बनाए टायर इतने कामयाब हुए कि अगले साल, साइकिल दौड़ में हिस्सा लेनेवाले 10,000 प्रतियोगियों ने खुशी-खुशी इनका इस्तेमाल किया। कुछ ही समय बाद, पैरिस के ताँगों पर न्यूमैटिक टायर चढ़ाए जाने लगे, जिससे फ्राँसीसी सवारियाँ बेहद खुश हुईं।

टायर के कई ज़रूरी काम हैं। ये ना सिर्फ गाड़ी का वज़न ढोते हैं बल्कि जब भी गाड़ी सड़क के उठाव (bumps) या गड्ढों के ऊपर से जाती है, या ऊबड़-खाबड़ रास्तों से गुज़रती है, तो उसे ज़ोर से झटका लगने से बचाते हैं। मगर इससे भी बढ़कर, आपके टायर ज़रूरी कर्षण (traction) पैदा करते हैं ताकि आप अपनी गाड़ी की रफ्तार बढ़ा सकें, किसी भी दिशा में उसे घुमा सकें, ब्रेक लगा सकें और हर तरह के रास्ते पर गाड़ी को काबू में रखकर सीधे चला सकें। फिर भी, ताज्जुब की बात है कि हमेशा टायर का सिर्फ एक छोटा-सा भाग यानी करीब पोस्ट कार्ड के जितना हिस्सा ज़मीन को छूता है।

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