हनुमान ने जब भीम का घमंड तोड़ा
जब पांडवो को बारह वर्ष का वनवास मिला तो वे उसे पूरा करने के लिए वन मे रहने निकल जिन राजकुमारों ने अपना सारा जीवन आराम से गुजारा था, वे अब जंगल में रहने को मजबूर थे। अर्जुन दिव्य अस्त्र की खोज मे हिमालय चले गये तो उनके बगैर चारो पांडवो और द्रौपदी को उस जगह का माहौल कुछ अजीब लगने लगा। माहौल बदलने के लिए उन्होने अपना निवास स्थान बदल दिया। एक दिन हवा के साथ एक बहुत मनोहर खुशबू आई। द्रौपदी उस पर इतनी आकर्षित हुई कि वह उस फूल को पाना चाहती थी जिससे इतनी अच्छी खूशबू आ रही थी । उसने भीम से उस फूल को लाने के लिए कहा।
इसलिए अगले दिन भीम उन फूलों की तलाश में निकले। वह जिस रास्ते से जा रहे थे वह बहुत घना था और वहा रास्ता नहीं था इसलिए उन्हें अपना एक रास्ता बनाना पड़ा। उन्होने जब पेड़ो को उखाड़ना प्रारम्भ किया तो बहुत शोर हुई जिससे आसपास के जंगली जानवर भी डर गए। उन्हे वह स्थान दिखाई देने लगा जहाँ वे फूल लगे थे। वे जैसे ही उस फूलो के पास पहुचने वाले थे उन्होने देखा कि एक बन्दर रास्ते मे लेटा है। उन्होने गुस्से मे बन्दर से कहा कि तुम नही जानते कि तुम किसके रास्ते मे सो रहे हो? मैं एक महान योद्धा हूं और सर्वश्रेष्ठ गदाधारी भी हूँ। इसलिए मुझे हथियार का इस्तेमाल करने के लिए मजबूर मत करो।
बंदर ने कहा मै तो एक बूढा बंदर हू तुम मुझे लांघ कर जा सकते हो। लेकिन भीम ने कहा कि मै किसी को दुर्बल को लांघ नही सकता। बंदर ने कहा कि मेरी पूंछ ही तो रास्ते मे पड़ी है। क्यों न इसे हटा कर एक तरफ रख दो और अपने रास्ते जाओ। भीम इस बात से सहमत हो गये। भीम ने पूंछ उठाने की कोशिश की लेकिन यह बहुत भारी लग रहा था, उन्होंने अपनी पूरी ताकत से कोशिश की लेकिन फिर भी यह एक इंच भी नहीं हटा। बंदर केवल मुस्कराता रहा। यह देखकर भीम को बहुत आश्चर्य हुआ। हार मानकर भीम ने पूछा कि आप कोई साधारण बंदर नही है। आप कौन है?
हनुमान जी अपने असली रूप मे आ गये। उन्होने कहा मै हनुमान हूं जिसे राम की लंका विजय मे मदद की थी। मै तुमसे मिलना चाहता था क्योकि तुम मेरे भाई हो। तुम्हारा अहंकार कम करना चाहता था। भीम ने उनके सामने सर झुका दिया अपनी भूल के लिए क्षमा मांगी। उन्होने हनुमान जी से उनका वह रूप देखना चाहा जिसमे उन्होंने राम की मदद की थी। हनुमान जी ने उन्हें अपना दिव्य रूप भी दिखाया। जब भीम ने उनसे मदद मांगी तो हनुमान जी ने कहा कि मै प्रत्यक्ष रुप मे तुम्हारी मदद नही कर सकता। लेकिन अप्रत्यक्ष रूप मे तुम्हारी मदद अवश्य करूंगा। इसीलिए अर्जुन के रथ के उपर ध्वजा पर हनुमान जी उपस्थित दिखाये गये है।