सॉफ्टवेयर इंजीनियर हमेशा वेतन और जल्दी रिटायरमेंट पर क्यों ध्यान देते हैं? जानिए वजह

क्युकी उनके पास जल्दी रिटायरमेंट के अलावा कोई और विकल्प नहीं होता है। आईटी इंडस्ट्री मे जो सबसे बुरा पक्ष है काम करने का वह ये है की आपको अपना रिटायरमेंट 60 की उम्र मे ना सोच कर 50 तक की उम्र पर सोचना पड़ता है।

हमारे देश मे लोग इंजीनियरिंग पहले करते है और बाद मे तय करते है की उन्हें जीवन मे क्या करना है!

आईटी मे तीन तरह के लोग होते है —

  • पहले वो लोग जो सिर्फ तब तक यहाँ होते है जब तक उनका कोई गवर्नमेंट एग्जाम क्लियर नहीं हो जाता। इंजीनियरिंग करके आज बोहोत से लोग बैंक पओ का पेपर दे कर बैंक मे काम कर रहे है।
  • दूसरे वो जिनको इसमें रूचि नहीं होती पर विकल्पों की कमी के कारण वो यहाँ काम कर रहे होते है।
  • तीसरे और आख़री वो जो भले ही गलती से यहाँ आ गए पर अब अपने काम को मजे से करते है और जीवन भर यही करना चाहते है।

दिक्कत यहाँ आती है की आईटी मे जायदातर काम सर्विस कम्पनीज का होता है जो सपोर्ट और मेंटेनेंस से रिलेटेड रहता है। ये काम इतना मुश्किल नहीं होता है इसलिए 5–6 साल तक के एक्सपीरियंस वाला इंजीनियर इसे करने मे सक्षम होता है।

यही कारण है की हर साल आईटी कम्पनीज इतने सारे एम्प्लाइज को निकल देती है क्युकी उनके हिसाब से वो जायदा पैसे क्यों दे एक 15 साल वाले एक्सपीरियंस को जब वही काम उन्हें कम वेतन लेने वाला 6 साल एक्सपीरियंस का आदमी करके दे सकता है।

इसी कारण हर साल आईटी मे छटनी होती रहती है और कुछ लोग ही होते है जो मैनेजर या डायरेक्टर लेवल तक पहुंचते है। बाकि लोग 45–50 की उम्र तक अपनी नौकरी खो बैठते है इसलिए उन्हें शुरुआत से ही सतर्क रहकर अपने रिटायरमेंट के बारें मे सोचना शुरू कर देना चाइये।

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