“सुसाइड-बाॅम्बर” प्राणी ! जो ‘शिकारी’ को मारने के लिए, अपने शरीर को ‘विस्फोट’ से उड़ा देते हैं
“बैकपैक दीमक”। यह एक दीमक की प्रजाति होती है। जिसकी अजीब बात यह होती है कि, यह अपने शरीर के अंदर विस्फोटक तैयार कर लेते हैं। यह विस्फोटक ‘कॉपर’ और ‘प्रोटीन’ से मिलकर बनाए हुए, ‘क्रिस्टल’ होते हैं।
जो दीमक जितना ज्यादा पुराना होता है। उसमें इन विस्फोटकों की मात्रा उतनी ही ज्यादा होती है। दीमक को देखने पर यह विस्फोटक पीछे एक थैली में भरे हुए दिखाई देते हैं। जिसका रंग नीला एवं पारदर्शी दिखाई देता है। जिस दीमक में, जितना ज्यादा ‘विस्फोटक’ होता है;
वे उतने ही
निष्क्रिय या कामचोर होते हैं। संभवत वजन ज्यादा बढ़ जाने से, दैनिक कार्य प्रणाली पर फर्क पड़ता है।
प्रश्न उठता है कि, “दीमक” आखिर छोटे-छोटे इन विस्फोटकों का करती क्या है?
यह भी बेहद रोचक जानकारी है कि, इन विस्फोटकों का प्रयोग यह अपने शिकारी अर्थात वह जीव जो ‘दीमक’ का, शिकार करने आते हैं। यह दीमक इन विस्फोटकों का प्रयोग, उनके ऊपर हमला करने में करते हैं।
देखिए, प्रकृति ने छोटे-छोटे जीवो को क्या क्षमता दे रखी है?
जैसे ही किसी शिकारी जीव द्वारा इनके ऊपर हमला किया जाता है तो, कहीं भी बैठे हुए हैं सारे दीमक इकट्ठे होने लगते हैं और यह सब मिलकर उस ‘शिकारी’ पर हमला करते हैं। इस परिस्थिति में वे दीमक जो सबसे ज्यादा पुराने और कम काम करने वाले थे अब वह सबसे आगे आ जाते हैं।
जब शिकारी इन दीमक को पर हमला करता है तो, इनकी पीछे थैली के समान रचना में भरा हुआ यह ‘विस्फोटक’ फूट जाता है और चारों तरफ इसके क्रिस्टल बिखर जाते हैं। यह क्रिस्टल ‘बैंजोक्विनोक्स’ नामक जहर से भरे होते हैं। जो शिकारी को उसके आकार के हिसाब से नुकसान पहुंचाने से लेकर, जान तक लेने में सक्षम होते हैं । इस प्रक्रिया में यह आत्मघाती दीमक, स्वयं भी मर जाते हैं। परंतु, अपने समुदाय के लिए अपना बलिदान कर जाते हैं।।