समुद्र मंथन से अमृत और विष के अलावा और क्या-क्या चीजें निकली थीं?
धर्म ग्रंथों के अनुसार, एक बार महर्षि दुर्वासा के श्राप के कारण स्वर्ग श्रीहीन (ऐश्वर्य, धन, वैभव आदि) हो गया। तब सभी देवता भगवान विष्णु के पास गए। भगवान विष्णु ने उन्हें असुरों के साथ मिलकर समुद्र मंथन करने का उपाय बताया और ये भी बताया कि समुद्र मंथन को अमृत निकलेगा, जिसे ग्रहण कर तुम अमर हो जाओगे।
यह बात जब देवताओं ने असुरों के राजा बलि को बताई तो वे भी समुद्र मंथन के लिए तैयार हो गए। वासुकि नाग की नेती बनाई गई और मंदराचल पर्वत की सहायता से समुद्र को मथा गया। समुद्र मंथन से अमृत व विष के अलावे उच्चैश्रवा घोड़ा, ऐरावत हाथी, लक्ष्मी, भगवान धन्वन्तरि सहित चौदह रत्न निकले। जो इस प्रकार हैं।
- कालकूट विष
- कामधेनु
- उच्चैश्रवा घोड़ा
- ऐरावत हाथी
- कौस्तुभ मणि
- कल्पवृक्ष
- रंभा अप्सरा
- देवी लक्ष्मी
- वारुणी देवी
- चंद्रमा
- पारिजात वृक्ष
- पांचजन्य शंख
13 व 14. भगवान धन्वंतरि व अमृत कलश।