संकष्टी चौथ व्रत विधि और कथा क्या है जानिए

सूर्यास्त के बाद चांद को तिल,गुड़ आदि से अर्घ्य देना चाहिए। इस अर्घ्य के बाद ही व्रती को अपना व्रत खोलना चाहिए। गणेशजी की पूजा के बाद तिल का प्रसाद खाना चाहिए। जो लोग व्रत नहीं रखते हैं उन्हें भी गणेशजी की पूजा अर्चना करके संध्या के समय तिल से बनी चीजें खानी चाहिए। कहते हैं तिल खाने और तिल नाम के उच्चारण से पाप कट जाते हैं। इस दिन तिल का दान भी उत्तम माना गया है।

गणेश जी को इस दिन दुर्वा चढ़ाना चाहिए। दुर्वा में अमृत का वास माना जाता है। गणेशजी को दुर्वा अर्पित करने से स्वास्थ का लाभ मिलता है। मान-प्रतिष्ठा और धन सम्मान में भी वृद्धि होती है। अगर संभव हो तो हर दिन गणेशजी को एक दुर्वा चढ़ाना चाहिए। लेकिन पूजा में ध्यान रखें कि इन्हें तुलसी का पत्ता भूलकर भी ना चढ़ाएं, इससे गणेशजी नाराज हो जाते हैं। क्योंकि तुलसी ने गणेश जी को शाप दिया था।

इस दिन दूर्वा के अलावा शमी का पत्ता, बेलपत्र, गुड़ और तिल से बने लड्डू भी भगवान गणेश को चढ़ाया जा सकता है। इन सब चीजों के अर्पण से गणेशजी बहुत प्रसन्न होते हैं और पूजा करने वाले को मनोवांक्षित फल प्रदान करते हैं।

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