श्री राम के छल का बदला बाली ने किस प्रकार लिया अर्थात श्री कृष्ण की मृत्यु कैसे हुई……..

बाली सुग्रीव का भाई बड़ा भाई था। और उसके धर्मपिता देवराज इंद्र ने उनकी सुरक्षा को देखते हुए उन्हें एक स्वर्ण हार दिया था। इस हार में ब्रह्मा जी का वरदान छिपा था। कि जो भी इस हार को पहन कर रन भूमि में जाएगा तो उसके सामने वाले प्रतिद्वंदी की आधी शक्ति उसमे समा जाएगी। इसी कारण बाली जिस भी युद्ध को लड़ने जाता था। वह उसको जीत ही जाता था। इस प्रकार बाली का नाम अजेय बाली भी पड़ गया।

बाली ने बहुत सारे राक्षस जैसे कि ददुंभी, मायावी और रावण को परास्त किया। और अपने भाई सुग्रीव की पत्नी को छीन कर अपनी रानी बनाकर, सुग्रीव को राजमहल से बाहर का रास्ता दिखा दिया। तब सुग्रीव हनुमान के पास गया और हनुमान जी उसको अपने प्रभु राम जी के पास सुग्रीव की मदत करने के लिए लेकर गए। तब राम जी पेड़ के पीछे छिप कर बाली को तीर मारकर उसकी हत्या कर देते है। और सुग्रीव का राज्याभिषेक कर उसको वानरराज सुग्रीव बना देते है।

किन्तु यह तो हो गयी त्रेतायुग की बात। लेकिन ज़ब द्वापर युग आता है तो वही त्रेता युग वाला बाली द्वापर युग में जरा के रूप में जन्म लेता है। जो एक बहेलिआ होता है। जब श्री कृष्ण अपने खानदान का विनाश होते हुए देखते है। तो वह इस सब से परेशान हो कर जंगल में विश्राम करने चले जाते है। तभी वह बहेलिया भी उसी जंगल में शिकार खेलने आता है। और श्री कृष्ण को मृग समझकर उनको तीर मार देता है। जो श्री कृष्ण के देह त्यागने का कारण बनता है।

श्री कृष्ण ने भी गीता में कहा है। सभी को अपने कर्मो का फल यहीं पर मिलता है। और श्री कृष्ण के साथ भी ऐसा ही हुआ।

किन्तु उस जरा नामक भील को पश्चाताप होता है। और वह भी समुद्र में कूद कर अपने प्राण दे देता है। तब से उस जगह को भालका तीर्थ के नाम से जाना जाता है।

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