शोले के सूरमा भोपाली रोल के बारे में दिलचस्प तथ्य क्या है?

बॉलीवुड में ऐसे कई कलाकार है, जिनको अपने अभिनय या फिर किसी किरदार की वजह से पहचान मिलती है और कभी तो उनका किरदार उनके अभिनय पर इतना भारी पड़ जाता है कि उस अभिनेता को उसके एक किरदार की वजह से ही पहचाना जाने लगता है। ऐसा ही एक नाम है सुरमा भोपाली। बड़ा मशहूर नाम है मगर, इस किरदार को निभाने वाले जगदीप का असली नाम बहुत कम ही लोग जानते है।

सैयद इश्तियाक अहमद जाफरी नामक इस अभिनेता को बॉलीवुड ने जगदीप नाम दिया। साल १९७५ अभिनेता जगदीप ने रमेश सिप्पी के निर्देशन में बनी फिल्म ‘शोले’ में सुरमा भोपाली का किरदार निभाया था। जिसके बाद देखते ही देखते वो जगदीप से सुरमा भोपाली कब बन गए पता ही नहीं चला।

इसके बाद साल १९८८ में फिल्म ‘सुरमा भोपाली’ आयी। हालांकि सुरमा भोपाली नाम को फिल्म शोले से ही शोहरत मिली। बस यहीं से सैयद इश्तियाक अहमद जाफरी, जगदीप से सुरमा भोपाली बन गए। उनका ये किरदार बड़ा दिलचस्प था और साथ ही उनका जगदीप से सुरमा भोपाली बनने का किस्सा भी बड़ा दिलचस्प था।

एक इंटरव्यू के दौरान जब जगदीप से पुछा गया कि आपको असली नाम से कम ही लोग जानते है। आपके जेहन में ये कैसे आया कि भोपाल की भाषा को दुनियाभर में मशहूर कर दें। इस सवाल के जवाब में जगदीप ने कहा कि ‘ये बड़ा लंबा और दिलचस्प किस्सा है। सलीम-जावेद की एक फिल्म ‘सरहदी लूटेरा’ में मैं एक कॉमेडियन था। मेरे डायलॉग बहुत बड़े थे तो मैं फिल्म के डायरेक्टर सलीम के पास गया और बताया कि ये डायलॉग बहुत बड़े है, तो उन्होंने कहा कि जावेद बैठा है उससे कह दो।’

जगदीप ने आगे बताया कि ‘मैं जावेद के पास गया और मैंने जावेद से कहा तो उन्होंने बड़ी ही फुर्ती से डायलॉग को पांच लाइन में समेत दिया। मैंने कहा कमाल है यार, तुम तो बड़े ही अच्छे राइटर हो। इसके बाद हम शाम के समय साथ बैठे, किस्से-कहानी और शायरियों को दौर चल रहा था। उसी बीच जावेद ने बीच में एक लहजा बोला “क्या जाने, किधर कहां-कहां से आ जाते है।” मैंने पुछा कि अरे ये क्या कहां से लाये हो। तो वो बोले कि भोपाल का लहजा है।’

इसके बाद जगदीप ने जावेद से इस लहजे को सिखाने की गुजारिश की। इस वाकये के २० साल बीत जाने के बाद फिल्म ‘शोले’ शुरू हुई। रमेश सिप्पी ने उन्हें फिल्म में काम दिया। बस यहीं से शुरू हुआ जगदीप से सुरमा भोपाली बनने का सफर। जगदीप अपने जमाने के बेहतरीन कॉमेडियन रहे है। उन्होंने सुरमा भोपाली बनकर भोपाल शहर की बोली को मशहूर बनाया।

फिल्म ‘शोले’ से मिली पहचान को साल १९८८ में आयी फिल्म ‘सुरमा भोपाली’ से वो सुरमा बन गए। आपको बता दें कि सैयद इश्तियाक अहमद जाफरी उर्फ़ जगदीप उर्फ़ सुरमा भोपाली के दोनों बेटे जावेद जाफरी और नावेद जाफरी भी फिल्म इंडस्ट्री में अपना बड़ा नाम रखते है।

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