शिवलिंग पर त्रिपुंड होरिजेंटल क्यों होता है?
शिव पुराण के अनुसार जो व्यक्ति नियमित अपने माथे पर भस्म से त्रिपुण्ड यानी तीन रेखाएं सिर के एक सिरे से दूसरे सिरे तक धारण करता है उसके सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और व्यक्ति शिव कृपा का पात्र बन जाता है।
त्रिपुण्ड्र शैव परम्परा का तिलक है
भारत की प्राचीन पूजा पद्धतियों में वैष्णव एवं शैव दो परंपराएं हैं। भगवान शिव के मस्तक पर या फिर शिवलिंग पर लगाया जाने वाला त्रिपुंड (आड़ी रेखाएं) शैव परंपरा का तिलक कहा जाता है। भगवान के मस्तक पर सफेद चंदन या भस्म का त्रिपुंड लगाया जाता है जबकि शैव परंपरा के सन्यासी अपने माथे पर खास प्रकार से तैयार की गई भस्म या फिर सामान्य चंदन का त्रिपुंड लगाते हैं
27 देवों का आशीर्वाद दिलाता है त्रिपुंडत्रिपुंड
प्रत्येक रेखा में 9 देवताओं का वास होता हैं. त्रिपुण्ड धारण करने वालों पर शिव की विशेष कृपा होती है.