शिवरात्रि क्यों मनाई जाती है? जानिए
शिवरात्रि का अर्थ
दोस्तों शिवरात्रि का तात्पर्य है कि शिव की रात्री मान्यताएँ कयी है किन्तु इस दिन शिवजी का विवाह हुआ था।इसलिए शिव रात्रि कहा जाता है। जो भी इस दिन शिव की चार पहर की पूजा करता है उसके सभी मनोरथ पूर्ण हो जाते है। शिव ही सम्पूर्ण शक्तियों के देवता है और इस शिवरात्रि के दिन उनका ध्यान,उपासना करने से मनुष्यों के सभी कष्ट समाप्त हो जाते है।
शिवरात्रि का समय व शुभ मुहूर्त-
- “शिवरात्रि व्रतं नाम सर्वपापप्रणाशनम् ।
- आचाण्डालमनुष्याणाम् भुक्ति मुक्ति प्रदायकम् ।।
शिवरात्रि महापर्व निशीथव्यापिनी चतुर्दशी में मनाया जाता है।
महाशिवरात्रि का महत्व–
दोस्तों महादेव शिव शंकर को सभी देवताओं में सबसे सरल माना जाता है और उन्हें मनाने में ज्यादा जतन नहीं करने पड़ते। शिव भगवान सिर्फ सच्ची भक्ति से ही प्रसन्न हो जाते हैं। यही वजह है कि भक्त उन्हें प्यार से भोले नाथ बुलाते हैं। यह प्रचलित मान्यता है कि समुद्र मंथन के दौरान निकले विष को भगवान शिव ने विश को अपने कण्ठ स्थापित कर लिया था। जिस कारण उन्हे नीलकण्ठ भी कहा जाता है। उस विष के कारण वे उनके शरीर मे उथल-पुथल होने लगी। उनके अन्दर तेज का प्रकोप अधिक होने लगा और उसी दिन से उनके तेज को शान्त करने के लिए शिवलिंग का अभिषेक किया जाता है।
हर साल में 12 या 13 शिवरात्रियां होती हैं। हर महीने एक शिवरात्रि पड़ती है, जो कि पूर्णिमा से एक दिन पहले त्रयोदशी को होती है। लेकिन इन सभी शिवरात्रियों में दो सबसे महत्वपूर्ण हैं- पहली है फाल्गुन या फागुन महीने में पड़ने वाली महाशिवरात्रि और दूसरी है सावन शिवरात्रि। हिन्दू धर्म को मानने वाले लोगों की शिवरात्रि में गहरी आस्था है। और शिव को ही शक्तियों का प्रयाग स्थल भी माना गया है। शिवरात्रि का यह त्योहार भोले नाथ शिव शंकर को समर्पित है। मान्यता है कि सावन की शिवरात्रि में रात के समय भगवान शिव की पूजा करने से भक्तों के सभी दुख दूर होते हैं और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है। यही नहीं बुरी बलाएं भी उससे कोसों दूर रहती हैं। सोमवार को शिव का विशेष वार माना गया है लोग इस दिन भी शिव के लिए व्रत उपासना करते है।