वेदों के अनुसार देवताओं के गुरु कौन है? जानिए

देवताओं के गुरु बृहस्पति हैं।

परमपिता ब्रह्मा से सात महान ऋषियों की उत्पत्ति हुई जो प्रथम सप्तर्षि कहलाये। उनमें से एक थे महर्षि अंगिरस। इनका एक नाम अंगिरा भी है। इनकी चार पत्नियां थी – महर्षि मरीचि की पुत्री सुरुपा, कर्दम ऋषि की पुत्री स्वराट, मनु पुत्री पथ्या एवं दक्ष प्रजापति की पुत्री स्मृति

इनकी ज्येष्ठ पत्नी सुरुपा से इन्हें बृहस्पति की प्राप्ति हुई। बृहस्पति के अलावा सुरुपा से अंगिरस को उतथ्य एवं संवर्तन नामक दो और पुत्र प्राप्त हुए। बृहस्पति ने अपने पिता की आज्ञा से प्रभास तीर्थ में महादेव की घोर तपस्या की जिससे प्रसन्न होकर भगवान शंकर ने इन्हें देवगुरु का पद प्रदान किया। इसके अतिरिक्त उन्होंने बृहस्पति को नवग्रहों में भी स्थान दिया।

इन्होंने अपनी शिक्षा अपने पिता अंगिरस से प्राप्त की। इसके अतिरिक्त त्रिदेवों की भी इनपर कृपा थी। जहाँ एक ओर परमपिता ब्रह्मा के पौत्र, भृगु के पुत्र शुक्राचार्य दैत्यों के गुरु बन उनका नेतृत्व कर रहे थे, बृहस्पति ने देवताओं को शिक्षित कर संगठित किया। इन्होंने अनेक बार देवताओं को गहन संकट से उबारा। इंद्र को भी वृत्र के हत्या पाप से इन्होंने ही बचाया।

इन्होंने तीन विवाह किए। इनकी पहली पत्नी शुभा थी जिनसे इन्हें भानुमती, राका, अर्चिष्मती, महामती, महिष्मती, सिनीवाली और हविष्मती इन 7 पुत्रियों की प्राप्ति हुई।

इनकी दूसरी पत्नी ममता से इन्हें भारद्वाज एवं कच नामक दो तेजस्वी पुत्र प्राप्त हुए। भारद्वाज के कई पुत्र हुए जिनमे गर्ग और द्रोण प्रमुख थे। कच को बृहस्पति ने शुक्राचार्य के पास मृतसंजीवनी विद्या प्राप्त करने भेजा। बड़े परिश्रम के बाद कच ने वो विद्या पाई भी पर शुक्र की पुत्री देवयानी के श्राप के कारण वे उस विद्या को भूल गए।

इनकी तीसरी पत्नी तारा थी जिनसे इन्हें 7 पुत्र और 1 पुत्री की प्राप्ति हुई। चंद्र, जो बृहस्पति का शिष्य था, तारा पर आसक्त हो गया। दोनो के संयोग से बुध का जन्म हुआ। बुध अवैद्य संतान थे किंतु इन्ही के कुल में सभी राजवंश का जन्म हुआ। बुध का विवाह इला से हुआ जिनसे उन्हें पुरुरवा नामक पुत्र हुआ। पुरुरवा से आयु, आयु से नहुष एवं नहुष से ययाति हुए। ययाति के पांच पुत्रों से पांच राजवंश चले जिनमे यदु में वंश में श्रीकृष्ण ने जन्म लिया। ययाति के सबसे छोटे पुत्र पुरु के वंश में ही सभी चक्रवर्ती सम्राट हुए। दुष्यंत, भरत, हस्ती, कुरु, शांतनु, भीष्म, कौरव और पांडव सभी पुरुवंश में ही हुए।

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