विमान दुर्घटना का कारण जानने के लिए लगाया जाता है यह ब्लैक बॉक्स,जानिए कैसे करता है काम

दुनिया भर में कई बार विमान हादसे का शिकार हो जाते हैं लेकिन विमान के हादसे के पीछे क्या कारण है इसका पता लगाने के लिए विमान में एक खास तरह का डिवाइस लगाया जाता है जिसे ब्लैक बॉक्स कहा जाता है विमान मैं ब्लैक बॉक्स का उपयोग द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से किया जाने लगा वही आपको बता दें कि ब्लैक बॉक्स एक गोपनीय इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस है लेकिन इसका रंग ऑरेंज कलर का होता है शुरुआती दौर में जब इस इलेक्ट्रॉनिक उपकरण को बनाया गया तब इसका रंग काला था लेकिन विमान हादसे के बाद इसे जल्द ही खोजा जा सके इसलिए इसका रंग बदलकर ऑरेंज कर दिया गया आपको बता दें कि इस ब्लैक बॉक्स का आकार जूते के डब्बे के समान होता है एवं इसकी बाहरी परत को ऐसी धातुओं से मिलाकर तैयार किया जाता है.

ताकि वह विमान दुर्घटना के बाद सुरक्षित रह सके वही ब्लैक बॉक्स की मजबूती को चेक करने के लिए इसे 750 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से कंक्रीट की दीवार पर फेक कर देखा जाता है ताकि विमान दुर्घटना के समय ब्लैक बॉक्स क्षतिग्रस्त ना हो सके इसके अलावा जिसे 1100 डिग्री तापमान पर रखकर चेक किया जाता है कि यदि विमान में आग लगे तो ब्लैक बॉक्स क्षतिग्रस्त ना हो पाए वही आपको बता दें कि ब्लैक बॉक्स में एक स्टील या टाइटेनियम धातु की इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस लगाई जाती है जिसमें वह सभी चीजें रिकॉर्ड होती है जो कि विमान हादसे के बाद जांच के लिए बहुत आवश्यक होती है इसमें पायलटों के बीच क्या बातचीत हो रही है.

इसकी रिकॉर्डिंग भी होती है इसके अलावा हवा की स्पीड, विमान कितनी ऊंचाई पर उड़ रहा है, विमान में कितना फ्यूल है इसके अलावा कई ऐसी गतिविधियां होती है जिनकी रिकॉर्डिंग इस ब्लैक बॉक्स में होती है वही आपको बता दें कि इस ब्लैक बॉक्स में 25 घंटे की रिकॉर्डिंग स्टोरेज करने की क्षमता होती है वही विमान हादसे के दौरान यदि विमान पानी में गिर जाता है तब भी इस ब्लैक बॉक्स को पानी में 6000 मीटर की गहराई पर भी ढूंढा जा सकता है इसके अलावा इसमें एक ऐसी बैटरी लगाई जाती है जिसका पावर 1 महीने तक खत्म नहीं होता एवं इस बैटरी की लाइफ 6 साल की होती है वही विमान दुर्घटना होने के बाद जांच दल इस ब्लैक बॉक्स को खोजते हैं जिसके बाद इसके अंदर मौजूद सभी जानकारियों को निकालते हैं और हादसे की वजह तलाशने में उन्हें मदद मिलती है

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