विमान के पीछे कभी कभी धुँए की रेखा दिखाई देती है, वह क्या होती है?
जैट विमान के अलावा विमान के पीछे कभी कभी धुँए की रेखा दिखाई देती है, वह फ्युल डंपिंग होती है।
जैसे उसमें सवार 60 साल की एक महिला की अचानक तबीयत खराब हो गई और उसे सांस लेने में तकलीफ होने लगी. स्थिति बेहोशी वाली हो गई. इसलिए पायलट को इमरजेंसी लैंडिंग के अलावा दूसरा कोई रास्ता नहीं सूझ रहा था. लेकिन यह मुश्किल काम था.
क्रू मेंबर ने फैसला लिया कि विमान के 65 हजार पाउंड गैसोलीन को हवा में ही गिराना होगा. यही किया गया, तब जाकर अलास्का में प्लेन की इमरजेंसी लैंडिग हो सकी. लगभग 20 हजार डॉलर का तेल डंप करने के बाद विमान की इमरजेंसी लैंडिंग हुई और महिला यात्री की जान बचाई जा सकी.
क्या होती फ्यूल डंपिंग
सवाल है कि इमरजेंसी लैंडिंग से पहले ‘फ्यूल डंपिंग’ क्यों की जाती है? इसका जवाब है कि विमान में तेल का वजन काफी ज्यादा होता है जिसकी वजह से इमरजेंसी लैंडिंग करने पर दिक्कत आ सकती है. इसलिए तेल गिराकर विमान का वजन हल्का किया जाता है. तब जाकर उसकी इमरजेंसी लैंडिंग होती है. इस विधि को टेक्निकल भाषा में ‘फ्यूल जेटिसन’ कहते हैं. प्लेन की डिजाइन इस तरह से बनाई जाती है कि वह एक निश्चित वजन के साथ ही लैंड कर सकता है. विमान का वजन ज्यादा हो तो संभव है कि वह तेजी से धरती पर धक्का मारे और बड़ा नुकसान हो जाए.
विमान में कितना तेल
प्लेन में एक बार में 5 हजार गैलन तेल होता है जो कि तीन हाथी के वजन के बराबर होता है. ऐसे में फुल टैंक के साथ लैंडिंग बहुत बड़े रिस्क का काम है. इसलिए प्लेन को कभी भी फुल टैंक या तेल की ज्यादा मात्रा के साथ लैंड नही कराते. विमान उड़ने से पहले फ्लाइट प्लानर यह अंदाजा लगाते हैं कि एक ट्रिप में कितना तेल लगेगा. ट्रिप के दौरान लगभग तेल खत्म होता है और प्लेन आराम से लैंड कर जाता है. कभी-कभी ऐसा भी होता है कि लैंडिंग से पहले प्लेन में तेल बच जाता है तो पायलट उतरने से पहले विमान के फेरे लगाकर तेल जलाता है और तब जाकर उसकी लैंडिंग की जाती है. ऐसे में बहुत इमरजेंसी की स्थिति में ही पायलट तय करता है कि हवा में तेल डंप करना है और विमान को लैंड कराना है.
कब होती है इमरजेंसी लैंडिंग
फ्लाइट के दौरान किसी को मेडिकल इमरजेंसी हो जाए, किसी की मौत होने की स्थिति हो और इस स्थिति में विमान को उड़ान पर रखना सही नहीं होगा तो पायलट फ्यूल डंपिंग का फैसला करता है. डंपिंग का मतलब यह नहीं होता कि तेल गिराया जाता है बल्कि विमान के चक्कर लगाकर तेजी से तेल जलाया जाता है. लेकिन अगर किसी यात्री की मरने की हालत हो तो विमान के तेल के हवा में गिराया भी जा सकता है. इसका फैसला पायलट और क्रू मेंबर लेते हैं.